दीपशिखा महादेवी वर्मा

Deepshikha Mahadevi Verma

  • अलि कहाँ सन्देश भेजूँ
  • अलि, मैं कण-कण को जान चली
  • आज तार मिला चुकी हूँ
  • आज दे वरदान
  • आँसुओं के देश में
  • आँसू से धो आज
  • ओ चिर नीरव
  • कहाँ से आये बादल काले
  • कोई यह आँसू आज माँग ले जाता
  • क्यों अश्रु न हों श्रृंगार मुझे
  • गूँजती क्यों प्राण-वंशी
  • गोधूली अब दीप जगा ले
  • घिरती रहे रात
  • जग अपना भाता है
  • जब यह दीप थके तब आना
  • जो न प्रिय पहिचान पाती
  • झिप चलीं पलकें तुम्हारी पर कथा है शेष
  • तम में बनकर दीप-आँसू से धो आज
  • तरल मोती से नयन भरे
  • तुम्हारी बीन ही में बज रहे हैं बेसुरे सब तार
  • तू धूल-भरा ही आया
  • तू भू के प्राणों का शतदल
  • तेरी छाया में अमिट रंग-बहना जलना
  • दीप मेरे जल अकम्पित
  • धूप सा तन दीप सी मैं
  • निमिष से मेरे विरह के कल्प बीते
  • पथ मेरा निर्वाण बन गया
  • पंथ होने दो अपरिचित
  • प्राण हँस कर ले चला जब
  • प्राणों ने कहा कब दूर,पग ने कब गिने थे शूल
  • प्रिय मैं जो चित्र बना पाती
  • पुजारी दीप कहीं सोता है
  • पूछता क्यों शेष कितनी रात
  • फिर तुमने क्यों शूल बिछाए
  • मिट चली घटा अधीर
  • मेघ सी घिर झर चली मैं
  • मेरे ओ विहग-से गान
  • मैं क्यों पूछूँ यह विरह-निशा
  • मैं चिर पथिक
  • मैं न यह पथ जानती री
  • मैं पलकों में पाल रही हूँ यह सपना सुकमार किसी का
  • मोम सा तन घुल चुका
  • यह मन्दिर का दीप
  • यह सपने सुकुमार तुम्हारी स्मित से उजले
  • लौट जा ओ मलय-मारुत के झकोरे
  • विहंगम-मधुर स्वर तेरे
  • शेषयामा यामिनी मेरा निकट निर्वाण!पागल रे शलभ अनजान
  • सजल है कितना सवेरा
  • सपने जगाती आ
  • सब आँखों के आँसू उजले
  • सब बुझे दीपक जला लूँ
  • हुए शूल अक्षत मुझे धूलि चन्दन