हिंदी कविताएँ : उत्साही "उज्जवल"

Hindi Poetry : Utsahi Ujjwal



1. कौन लब्जों पे ध्यान देता है

कौन लब्जों पे ध्यान देता है जब कोई नेता बयान देता है मुझे छला सदा अपनो ने कोई गैर कहाँ जुबान देता है दिल्लगी अपनी जगह है वाज़िब पर इश्क़ में कौन जान देता है नफ़रत किस से करूँ मैं यहाँ जब सबको जन्म भगवान देता है बीती बातों को याद क्या करना वो तो दर्दों का तूफ़ान देता है तुझे कैसे कह दूँ बेवफ़ा मैं धोखा तो सारा जहान देता है!

2. मेरी माँ

जग के घोर अँधेरे में रोशनी मेरी माँ फ़ीके-फ़ीके पकवानों की चासनी मेरी माँ डरे-सहमो के भीड़ में शेरनी मेरी माँ नली-गटरों के इस जग में त्रिवेणी मेरी माँ टेढ़े-मेढ़े लेखों के दौर में काव्य लेखनी मेरी माँ जग के इस उबाउपन में मनमोहिनी मेरी माँ

3. वक़्त को यूँही ना ज़ाया करो

वक़्त को यूँही ना ज़ाया करो पल-पल से खुशियाँ चुराया करो रास्ते बना लो अपने हाथों से हर बात किस्मत पर ना लाया करो दान देते है सब मंदिरो में यहाँ तुम भूखों को खाना खिलाया करो नदी हो तुम बहते रहना तुम्हें शहरों से नहीं, सागर से दिल लगाया करो सीढ़ी चढ़ोगे तो गिरोगे भी जब भी गिर जाओ ख़ुद को उठाया करो माना नफ़रत फैली है चारों तरफ हो स्वच्छंद प्यार तुम तो लुटाया करो

4. जब भी खो जाता हूँ तेरे नैनों की गहराई में

जब भी खो जाता हूँ तेरे नैनों की गहराई में तेरा अक्स उतर आता है मेरे परछाई में एक बार पलकों को निहारना एक बार ओठों को यानि ख़ुद को घायल करना और सहेजना चोटों को रो पड़ता दिल मेरा तुझसे एक पल की जुदाई में जब भी खो जाता हूँ तेरे नैनों की गहराई में तेरा अक्स उतर आता है मेरे परछाई में तुझे देख कर लगता जैसे जग सारा फीका हो निहारु ऐसे तुझे जैसे चौदही का चाँद दिखा हो मन के सारे भाव उतर आते है तन्हाई में जब भी खो जाता हूँ तेरे नैनों की गहराई में तेरा अक्स उतर आता है मेरे परछाई में

5. मेरा गाँव

मेरे गाँव का अलग कहानी है हर शख्श वहाँ तूफानी है रहते सब अलमस्त वहाँ एक अलग सबमें रवानी है हास्य-परिहास्य से परिपूर्ण सब उनका ना कोई सानी है पढ़े लिखे थोड़ा कम हैं भले ही पर जीवन के वो ज्ञानी है रिस्ते निभाते भाव से वो देखते ना लाभ-हानी है रुपये-पैसे कम है पास लेकिन दिल से वो अंबानी है शहर के सारे चोचलों ने, हार उनके सामने मानी है समझते वो खुद को राजा-रानी है बस यही मेरे गाँव का कहानी है

6. सब ढूंढ़ते है तुझे तू मिलता कहाँ है

सब ढूंढ़ते है तुझे तू मिलता कहाँ है ख़ुदा तेरे घर हैं इतने तू रहता कहाँ है कोई कहे कुछ, कोई सुनाता कुछ है मगर ये बाते तू इनसे करता कहाँ है तेरा नाम ले हमको डराते सब है पर ख़ामोश है तू कुछ कहता कहाँ है मुशीबतों में सब पुकारते हैं तुझे खुशियों में कोई याद करता कहाँ है

7. गीदड़ों के झुण्ड ने फिर एक शेरनी पर वार किया है

गीदड़ों के झुण्ड ने फिर एक शेरनी पर वार किया है खुद को मर्द कहने वालों न मानवता शर्मसार किया है उठो शेरनियों अब तो जागो और मिल प्रहार करो अपने हाथों में ले कटारी इन दुष्टों का संहार करो कब तक इन बुजदिलों से तुम डर-डर कर जियोगी पापियों के खून पियो कब तक जहर पियोगी तुम हो चंडी जिन्होंने किया था देवताओं का उद्धार खुद को तुम पहचानो और अब करो खुद पर उपकार

8. आज वो फिर मेरी रातों में उतर आया है

आज वो फिर मेरी रातों में उतर आया है जैसे कोई सुबह का भूला शाम को घर आया है सफ़र में अकेले वो छोड़ गया था मुझको मैं गिरा तो वो मुझे संभालने मेरे शहर आया है जो कभी मुझसे दूर-दूर रहा करता था जग से जा रहा हूँ तो वो रोकने मुझे इधर आया है पनाहों में ना रखा अपने मुझे उस ने कभी मग़र जो थक गया हूँ मैं मेरे लिए ले चदर आया है "उज्जवल" जिस दिल को कभी कहा था पत्थर वही पत्थर अबकी तूफ़ानों में टूटता नजर आया है

9. ना तुम अपनी ना जग अपना

ना तुम अपनी ना जग अपना किस पर अपना अधिकार प्रिये मन दुविधा से है भरा पड़ा इस पार प्रिये उस पार प्रिये। देखो दिदार को प्यासी नजरें तुम्हारे आने की आस छोड़ चली चाँदनी से भरी मेरी ये निशा मन को मेरे झकझोर चली सबको ढोना है सर अपने अपने किए का भार प्रिये, जब हम उठे वक़्त रूठ गया जिवन का यही सार प्रिये। है आज प्रेम में उलझ रहे सब हम अपना त्याग प्रिये मन के व्याकुलता में तुम्हें सौप रहे अपना भाग्य प्रिये।

10. नभ के तारे पूछ रहे हैं

नभ के तारे पूछ रहे हैं कब चमकोगे प्यारे तुम जीत चाहते हो ख़ुद से फिर क्यों हो मन से हारे तुम जग को जानने के चक्कर में कहीं तुम ख़ुद को भूल ना जाना जीत उन्हीं को मिलती यहाँ जिन्होंने है खुद को पहचाना तुलना क्या करना किसी से सब यहाँ अलग-अलग है तुमसे आगे लोग वही है जो तुमसे ज्यादा सजग है प्यारे तुम ख़ुद को पहचानो हमारी बस ये बात मानो दिल में दिया जलालो आस का ख़ुद से ही तुम ज़िद ठानो मेहनत करो बन जाओगे सब के आँखों के तारे तब जा कर चमक पाओगे तुम प्यारे

11. एक दूसरे से ना बात करेंगे

एक दूसरे से ना बात करेंगे बस फोन पर चैट करेंगे बेटे को ना बाप से है शर्म छोरे रख रहे चोटी छोरियों के हो रहे कपड़े कम साहब जमाना है मॉडर्न माँ हो गई मॉम पिताजी हुए पॉप पढ़ाई से प्यारा है बच्चों को टिकटोक पढ़ने के उम्र में इश्क़ करे मन में पाले प्यार का वहम ख़ुदा भी इन पर करे कैसे रहम साहब जमाना है मॉडर्न

12. हम तुझसे बिछड़कर उदास कितने थे

हम तुझसे बिछड़कर उदास कितने थे तुम्हारे सिवा लोग आसपास कितने थे मिली तो आज भी पेश आई गैरों की तरह हमनें तुमसे से लगाए आस कितने थे नींद, चैन,ख़ुशी क्या क्या नहीं खोया तुम से पहले हम बिंदास कितने थे पड़े है सारे ख़्वाब मन के किसी कोने में इश्क़ के मन में आभास कितने थे तुने ख़ुद ही ख़ुद को तबाह किया 'उज्जवल" नहीं तो जग में तेरे मोहताज़ कितने थे

13. ख़ुद से एक सवाल पूछो

ख़ुद से एक सवाल पूछो काटे कितने बवाल पूछो कोई और पूछे उससे पहले अपने दिल का हाल पूछो इश्क़ में है बरबाद लाखों मुझसे ना कोई मिसाल पूछो पूछो जब भी किसी का हाल दिल को अपने संभाल पूछो

14. आईना देखकर वो डर गया

आईना देखकर वो डर गया राज खुलते ही उसका चेहरा उतर गया कहा था मैंने उससे फ़रेब ना कर तू अब जब ख़ुद पे गुज़री है तो वो डर गया बड़ा गुरुर पाल रखा था मन में उसने जो अब है टूटा गुरुर तो वो सुधर गया

15. आज वो फिर मेरी रातों में उतर आया है

आज वो फिर मेरी रातों में उतर आया है जैसे कोई सुबह का भूला शाम को घर आया है सफ़र में अकेले वो छोड़ गया था मुझको मैं गिरा तो वो मुझे संभालने मेरे शहर आया है जो कभी मुझसे दूर-दूर रहा करता था जग से जा रहा हूँ तो वो रोकने मुझे इधर आया है पनाहों में ना रखा अपने मुझे उस ने कभी मग़र जो थक गया हूँ मैं मेरे लिए ले चदर आया है "उज्जवल" जिस दिल को कभी कहा था पत्थर वही पत्थर अबकी तूफ़ानों में टूटता नजर आया है

16. हर तरफ़ शोर है

हर तरफ़ शोर है आप भी ताली बजा लीजिए मदाड़ी है बंदरो की आप भी मजा लीजिए कोई अब सिंगल ना रहा आप भी कोई फसा लीजिए सब ग़म में है डूबे यहाँ आप भी दिल अपना दुखा लीजिए फ़रेबी हर तरफ छाई है आप भी अपनी दाल गला लीजिए

17. कहता हूँ किस्से तमाम कहता हूँ

कहता हूँ किस्से तमाम कहता हूँ मोहब्बत को मैं सरेआम कहता हूँ पर ख़बर उसे कैसे ना हुआ ख़ुदा शायरी मैं जिसके नाम कहता हूँ

18. उफ्फ़ उसकी नाराज़गी भी क्या कहर ढाती है

उफ्फ़ उसकी नाराज़गी भी क्या कहर ढाती है जब वो खुद ना आती तो उसकी यादें आ जाती है कितना सितम इश्क़ में हमको देखो सहना पड़ता है वो दूर होती है और आँखें हमारी नम हो आती है

19. कुछ नहीं कुछ नहीं

कुछ नहीं कुछ नहीं सब हो गया सही छोड़ा मैंने जब से करना दिललगी चैन से रहता हूँ

20. दिल है बेक़रार

दिल है बेक़रार इसे चाहिए एक यार ढूंढ़ लाओ कोई ऐसी जिसको हो मुझसे प्यार अब ना होता इंतेज़ार जल्दी करो कुछ जुगाड़ झट से माने इज़हार ना करे वो इंकार ढूंढ़ लाओ वो हसीना जिसको हो मुझसे प्यार सुन लो मेरी पुकार कुछ करो बरखुरदार कोई तो होगी जिसको होगा मेरा दरकार कर दो इतना उपकार ये मेरे सरकार ढूंढ़ लाओ ओ परी जो करे मुझपे जां निसार

21. ज़ुल्फ़ें उसकी काली

ज़ुल्फ़ें उसकी काली ओठों की लाली दिल मेरा चुरा गई एक लड़की भोली भाली पायल की रुनझुन उसकी कानों की बाली नींद मेरा उड़ा गई वो लड़की मतवाली जब कहा उससे मैंने बन जा मेरी घरवाली मारा गालों पर चाटा दिया ओठों से गाली जिसको समझा सोना वो निकली मवाली फिर भी चैन मेरा ले गई वो लड़की नखरेवाली

22. नयनों से नीर बहाओ ना

नयनों से नीर बहाओ ना साथ अपने मुझे रुलाओ ना है सफर बड़ी दूर का मेरा घर की याद मुझे दिलाओ ना डोर जोड़ो ना तुम प्रीत की मुझको आदत अपनी बनाओ ना मैं हूँ मेहमान तेरे घर का साथ घंटो मेरे बिताओ ना मैं हूँ एक समंदर सा गहरा खुद को मुझमें तुम डुबाओ ना है मुश्किल अपना मिलन प्रिय अब तुम पानी में आग लगाओ ना

23. मौसम ये बदल रहा है

मौसम ये बदल रहा है तेरे इशारे पर चल रहा है नशा छाया है फिजाओं में हर शख्श गिर-गिर संभल रहा है दुपट्टा ना उड़ाया करो ऐसे तुम देख तुम्हें बूढ़ों का दिल भी मचल रहा है सुना था चाँद रहता है आगोश में तुम पहली हो जिससे सूरज भी जल रहा है किया घायल मुझे अब और ना गिराओ बिजलियाँ मेरे मुहल्ले का हर शख्श इश्क़ में अव्वल रहा है

24. इश्क़ की गलियों का एक मानचित्र बनाओ न

इश्क़ की गलियों का एक मानचित्र बनाओ न कैसे चले हम यहाँ "प्रभु" आप हमें बताओ न लोग कितने भटक गए है इन आवारा गलियों में राह कोई दिखे ना उनको आप ही राह दिखाओ न

25. नेताओं की टोली फिर से निकली है बाजार में

नेताओं की टोली फिर से निकली है बाजार में पाँच सौ में बिकोगे यार या तुम हज़ार में तोड़ने वाले सौदागर लग गए है व्यपार में जाती में बटोगे या बटोगे धर्म के आधार पे बहुरूपिये नेता ढल गए है अपने किरदार में कोई बना किसान, कोई मजदूर इस त्योहार में लग गए सब शिकारी अपने-अपने शिकार में और हम भी झूम रहे उनके वादों के बौछार में

26. मंजिल है तू मेरी प्यार मेरा रास्ता

मंजिल है तू मेरी प्यार मेरा रास्ता रब से है जो वास्ता वो तुझ से भी है वास्ता क्या करूँ अगर-मगर मैं, तू मेरी ख़्वाब है मैं हूँ एक प्रश्न सा और तू मेरी जवाब है चाँद क्यों कहूँ तुझे मैं तू तो आफ़ताब है जो मुझे जलाए रखे वो तेरा ही ताप है छोड़ सब जंजाल जग के तुझमें रखा आस्था रब से है जो वास्ता वो तुझ से भी है वास्ता एक मेरी कहानी में तेरा भी आभाव है गीत जो मैं लिख रहा हूँ तेरा ही प्रभाव है तू है दूर मुझसे तब ही उतरते ये भाव है कितने अनसुलझे हुए इश्क़ के ये दाव है तूमको तो मालूम है दिल की मेरी दास्ताँ रब से है जो वास्ता वो तुझ से भी है वास्ता

27. नैनों से मेरे जो नैन तुम मिला रहे हो

नैनों से मेरे जो नैन तुम मिला रहे हो कल मत कहना की नैन भरमा गए कल तक तुमको ना रती भर भाते थे अब मत कहना की हम तुम्हें भा गए दूर जा रहें थे हम से, जाओ न जनाब क्यों लौट कर बिच रस्ते से आ गए है इरादा नेक अबकी या कोई फरेब है सच में क्या हम तेरे दिल में समा गए

28. परदेश जा के पिया हो गए पराए सखी

परदेश जा के पिया हो गए पराए सखी रात कैसे कटती, क्या हम बताए सखी धीर रखे तो कैसे, मन अधिर हो रहा है एक साल हो गए पर वो ना आए सखी लगता है किसी मनमोहनी ने मोह लिया वो मुझसे ना घंटों अब बतियाए सखी मैं आभागन रो रही हूँ अपने भाग्य पर निर्मोही पिया को ना तरस आए सखी

29. सबकी बातें सुनता क्यों (है)

सबकी बातें सुनता क्यों (है), दिल की अपनी बातें सुन दूसरों के सपने क्यों जिता, सपने ख़ुद के अपने बुन माना राह बड़ी मुश्किल है, मुश्किलों से डरना क्या जीवन मिला है जी ले तू तिल-तिल कर यूँ मरना क्या अपना ही संगीत बना और उसपे ही थिरकता जा गैरों के झुनझुने पर प्यारे ताता-थइआ करना क्या उत्साह अलग होगा जब होगा खुद का तेरा अपना धुन सबकी बातें सुनता क्यों(है), दिल की अपनी बातें सुन दूसरों के सपने क्यों जिता, सपने ख़ुद के अपने बुन कहती है दुनिया कहने दे, दुनिया है कहती रहती पत्थरों से क्या रुकती नदियाँ, नदियाँ तो है बहती रहतीं तुझे ना आज जो जानते कुछ भी, कल तुझको वो जानेंगे ख़ुद को आज जान ले प्यारे, कल सब तुझेपहचानेंगे कहाँ से तुझको डगर बनानी वो जगह तू ख़ुद से चुन सबकी बातें सुनता क्यों(है) दिल की अपनी बातें सुन दूसरों के सपने क्यों जिता, सपने ख़ुद के अपने बुन

30. कुछ हाइकू

(1) तरसे नैंन घनश्याम है रूठे नाहीं बरसे (2) चिर हरण देखकर श्याम हो ख़ामोश क्यों (3) की राम गए बनवास सखी रे केहि कारन

31. कितना स्वांग रचाती दुनिया

कितना स्वांग रचाती दुनिया, पग-पग मुझको छलती है फिर भी मुझको सबसे प्यारी, तनिक भी ना खलती है दिखती है ये सीधी-साधी अंदर से बिल्कुल टेढ़ी है ना ही दुनिया तेरी और नाहीं ये दुनिया मेरी है फूल जो लगते इसको प्यारे, उनको तोड़ लिया करती लोग करे जो प्रेम इसे, छोड़ उन्हें दिया करती है बड़ी अजीब ये दुनिया, किस को समझ ये आनी है मैं तो खुश हूँ चंद बर्षों की बस मेरी यहाँ कहानी है

32. जो ख़त आए भी नहीं उनको संभाल रखा है

जो ख़त आए भी नहीं उनको संभाल रखा है एकतरफा इश्क़ ने लहू अपना उबाल रखा है ना तु हां ही कहती है ना ही इंकार करती है तेरी इसी अदा ने हमें चक्कर में डाल रखा है अब मैं इसे इश्क़ ना समझू तो क्या समझू जो तूने कब से पास अपने मेरा रुमाल रखा है क्यों बात नहीं करती बड़ी खामोश रहती हो क्या तुमने भी शौक़-ए-इश्क़ पाल रखा है

33. मेरी अना ख़ुद ही बढ़ा के तोड़ दोगे

मेरी अना ख़ुद ही बढ़ा के तोड़ दोगे चल महज़ चंद कदम साथ छोड़ दोगे कितने ख़्वाब इन आँखों में बुने हैं क्या इन्हें मिट्टी के घड़े सा फोड़ दोगे जान तुम्हें चाँद तो कह दिया है मैंने तुम ख़ुद को क्या आसमां से जोड़ दोगे वाह तुमने ख़ुद से जंग जीत लिया अब तो तुम हवाओं का रुख मोड़ दोगे इतनी नसीहत जो दे रहे हो मुझे लगता है मुसीबत में साथ छोड़ दोगे

34. अब मैं ना कोई दुआ करेगा

अब मैं ना कोई दुआ करेगा रब जो करेगा अच्छा करेगा अपने जो ग़र दोस्त हो गयें तब कौन जख़्म हरा करेगा ख़ुद ग़र कुछ कर ना पाया कौन फ़िर तेरा भला करेगा गम में भी मुस्कुराते रहियो नहीं तो जग ये मजा करेगा

35. दर्द देख जहाँ के मुस्कुराने लगें

दर्द देख जहाँ के मुस्कुराने लगें ख़ुश हैं हम सबको दिखा ने लगें वक़्त ने है यहाँ बख्शा किसे दिल को हम अपने समझाने लगें दर्द सब ने जब अपना बयां किया हम सबसे सुखी नज़र आने लगें क्या सुनाने से जग को हैं फ़ायदा ये समझ गम अपना छुपाने लगें ग़र करें कोशिशें तो होंगे सफल जो ये जाना तो ख़ुद आजमाने लगें

36. जैसा सोचते अक्सर वैसा नहीं होता

जैसा सोचते अक्सर वैसा नहीं होता ये वक़्त है हरदम एक सा नहीं होता माना मेरे नज़रों में देवता है वो मगर नज़र सबका मेरे जैसा नहीं होता मुझसे तेरी तुझसे मेरी बातें करते हैं किसके साथ अब ये हादसा नहीं होता मुझसे गिला है मगर मुझसे नहीं कहते अरे यार मोह्हबत में ऐसा नहीं होता

37. बिखरी-बिखरी जज्बातों का एक ठिकाना हो

बिखरी-बिखरी जज्बातों का एक ठिकाना हो तुम अपनी हो बाकी चाहे खफ़ा जमाना हो तुम समेटना मेरे इन उलझे जज्बातों को नूर से अपने रौशन करना मेरी रातों को तुम में डूबे रहने का कोई एक बहाना हो तुम अपनी हो बाकी चाहे खफ़ा जमाना हो फिर मैं न गीत लिखूँगा बस तुमको गाऊँगा गज़ल तुम्हारी याद वाली तुमको सुनाऊँगा रब करे दोनों का कभी एक तराना हो तुम अपनी हो बाकी चाहे खफ़ा जमाना हो

38. मुझ से मेरा नाता क्या

मुझ से मेरा नाता क्या मेरे हिस्से आता क्या ज़रा-ज़रा सबका हूँ मैं ख़ुद के लिए पाता क्या अपनों ने है ख़्वाब बुनें मैं आँखों में लाता क्या राह दिखाई दुनिया ने उससे भटक जाता क्या

39. रो-रही है तन्हा माँ, किसको दर्द बताय

रो-रही है तन्हा माँ, किसको दर्द बताय बेटा ले बीवी चला, माँ कहाँ को जाय सब के सब ढोंगी यहाँ, कौन ये राज बताय देखकर सुंदर बाला, सब का मन ललचाय

40. इस जग के उल्फ़त निभाया न करें

इस जग के उल्फ़त निभाया न करें किसी को नाम का अपना बनाया न करें मेरे चेहरे से जब नफ़रत है आपकों फ़िर ख़ामख़ा ख्वाबों में आया न करें छत पे दीवार तो उठा ली आपने अब खिड़कियों से पर्दा हटाया न करें

41. मुझे तो तेरे घर का पता मालूम है

मुझे तो तेरे घर का पता मालूम है फ़िर क्यों लगता हर रस्ता गुम है जो छोड़ गई चिरइया घोंसला पेड़ तब से रहता बड़ा गुमसुम है मैंने उन रिश्तों से तौबा कर लिया जिनकी बाज़ारों में अब कि धूम है कोई नहीं सुनता खामोशी मेरी बस दिखावे को लगा हुजूम है

42. हम तुम्हें मिलेंगे कुछ सवालात लेकर

हम तुम्हें मिलेंगे कुछ सवालात लेकर जब तुम पड़े होगे गम-ए-हयात लेकर तुम्हारी मंजूरी जो मिल गयी होती आ जाते तुम्हारे घर हम बारात लेकर इतनी नादान अब क्यों बनती हो तुम्हीं आई थी रंगीन ख़्यालात लेकर मेरा रूठ जाना भी ठीक था नहीं तू क्यों छोड़ गई छोटी सी बात लेकर

43. गुलाब कैसे आ गया तलवार के म्यान में

गुलाब कैसे आ गया तलवार के म्यान में कोई तो शायर नहीं रहा मेरे खानदान में उसी के जीत या हार के किस्से हुए मशहूर जो आख़िरी दम तक डटा रहा मैदान में वो बात तुम भूल गयी या है याद अब भी जो जाते हुए कही थी तुमने मेरे कान में जरूरतें कभी-कभी कुछ भी करा लेती हैं किसी को परखों तो रखों ये बात ध्यान में उज्जवल से मत माँगो कोई राय उसकी छोटा आदमी है क्या रखा उसके बयान में

44. घर की बात जब तक घर में रहती है

घर की बात जब तक घर में रहती है इज़्ज़त तब तक पुरे शहर में रहती है तुमसे मिलकर जाने क्या रोग लगा बस तेरी तस्वीर नज़र में रहती है अच्छी चिजों पर कब किसका ध्यान गया हर बुरी चिज ख़बर में रहती है मत काटो, रूक जाओ, आह लगेगी एक चिरइया इस शजर में रहती है तोड़ ख़ामोशी 'उज्जवल' तुम बोलो बात तुम्हारी यहाँ असर में रहती है

45. मुझसे दिल लगा बैठी, पागल लड़की

मुझसे दिल लगा बैठी, पागल लड़की दर्द-ए-दिल बढ़ा बैठी, पागल लड़की उसकी आँखों में जादू-मंतर है सब का सब भूला बैठी, पागल लड़की छिपकली से डरने वाली होकर भी इश्क़ का भूत चढ़ा बैठी, पागल लड़की मैंने उसको आई लव यू क्या कह डाला कितना शोर मचा बैठी, पागल लड़की उज्जवल एक लड़की का जिक्र होते ही देखो मुँह लटका बैठी, पागल लड़की

46. तेरी याद आई है साजों-समान के साथ

तेरी याद आई है साजों-समान के साथ कुछ दिन रहेगी अब इत्मीनान के साथ कोई घायल होगा या मरेगा ज़रूर रहेगा कब तलक तीर-कमान के साथ उसके घर का शज़र सब जानता है मिलते कैसे थे हम अपने जान के साथ वो जो भी हो आए मेरे दरवाजे पर मुझे मंजूर नहीं दोस्ती गुमान के साथ तुम्हें देखकर गाल उसके लाल हो गयें जैसे तुम्हारे होंठ होते हैं पान के साथ उज्जवल एक महज उन्हें जलाने के वास्ते हम कह देते हैं जी रहे हैं शान के साथ

कुछ अशआर

मैं तुम से दिल की बात कहने वाला था पर उससे पहले मैंने वो अंगूठी देख ली तकते उसे टुकुर-टुकुर, भूल गए ये बात व्याह वास्ते ये बबुआ, मिलन चाहिए जात

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