Utsahi Ujjwal
उत्साही "उज्जवल"

उज्जवल कुमार (5 जून 2001-) गांव गोबर्धनपुर, जिला रोहतास (बिहार) के रहने वाले हैं । वह 'उत्साही "उज्जवल" ' के नाम से कविताएं लिखते हैं । उनके शौक कविताएं सुनना व लिखना हैं ।

उत्साही "उज्जवल" की कविताएँ

  • कौन लब्जों पे ध्यान देता है
  • मेरी माँ
  • वक़्त को यूँही ना ज़ाया करो
  • जब भी खो जाता हूँ तेरे नैनों की गहराई में
  • मेरा गाँव
  • सब ढूंढ़ते हैं तुझे तू मिलता कहाँ है
  • गीदड़ों के झुण्ड ने फिर एक शेरनी पर वार किया है
  • आज वो फिर मेरी रातों में उतर आया है
  • ना तुम अपनी ना जग अपना
  • नभ के तारे पूछ रहे हैं
  • एक दूसरे से ना बात करेंगे
  • हम तुझसे बिछड़कर उदास कितने थे
  • ख़ुद से एक सवाल पूछो
  • आईना देखकर वो डर गया
  • आज वो फिर मेरी रातों में उतर आया है
  • हर तरफ़ शोर है
  • कहता हूँ किस्से तमाम कहता हूँ
  • उफ्फ़ उसकी नाराज़गी भी क्या कहर ढाती है
  • कुछ नहीं कुछ नहीं
  • दिल है बेक़रार
  • ज़ुल्फ़ें उसकी काली
  • नयनों से नीर बहाओ ना
  • मौसम ये बदल रहा है
  • इश्क़ की गलियों का एक मानचित्र बनाओ न
  • नेताओं की टोली फिर से निकली है बाजार में
  • मंजिल है तू मेरी प्यार मेरा रास्ता
  • नैनों से मेरे जो नैन तुम मिला रहे हो
  • परदेश जा के पिया हो गए पराए सखी
  • सबकी बातें सुनता क्यों (है)
  • कुछ हाइकू
  • कितना स्वांग रचाती दुनिया
  • जो ख़त आए भी नहीं उनको संभाल रखा है
  • मेरी अना ख़ुद ही बढ़ा के तोड़ दोगे
  • अब मैं ना कोई दुआ करेगा
  • दर्द देख जहाँ के मुस्कुराने लगें
  • जैसा सोचते अक्सर वैसा नहीं होता
  • बिखरी-बिखरी जज्बातों का एक ठिकाना हो
  • मुझ से मेरा नाता क्या
  • रो-रही है तन्हा माँ, किसको दर्द बताय
  • इस जग के उल्फ़त निभाया न करें
  • मुझे तो तेरे घर का पता मालूम है
  • हम तुम्हें मिलेंगे कुछ सवालात लेकर
  • गुलाब कैसे आ गया तलवार के म्यान में
  • घर की बात जब तक घर में रहती है
  • मुझसे दिल लगा बैठी, पागल लड़की
  • कुछ अशआर