Firaq Gorakhpuri
फ़िराक़ गोरखपुरी

फ़िराक़ गोरखपुरी (२८ अगस्त १८९६ - ३ मार्च १९८२) जिन का असली नाम रघुपति सहाय फ़िराक़ था, गोरखपुर में पैदा हुए। वह राष्ट्रवादी, आलोचक और कवि थे। उन्होंने उर्दू में ग़ज़लें, नज़्में, रुबाईयाँ, दोहे और क़तात लिखे। वह प्यार और सुंदरता के कवि थे। उन की काव्य रचनायों में गुल-ए-नग़मा, रूहे-कायनात, गुले-राना, बज़्म-ए-ज़िन्दगी रंग-ए-शायरी, हिण्डोला और सरगम शामिल हैं। उन को साहित्य अकादमी, ज्ञान पीठ, पद्म भूषण और नेहरू-लैनिन पुरुस्कार आदि सम्मान मिले।

उर्दू शायरी/कविता हिन्दी में फ़िराक़ गोरखपुरी-ग़ज़लें

  • अपने ग़म का मुझे कहाँ ग़म है
  • अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं
  • अब तो हम हैं और भरी दुनियाँ की
  • अब दौर-ए-आसमाँ है न
  • अरे ख्वाबे-मुहब्बत की भी क्या ता'बीर होती है
  • आई है कुछ न पूछ क़यामत
  • आज भी क़ाफ़िला-ए-इश्क़ रवाँ है कि जो था
  • आह वो मंज़िले-मुराद, दूर भी है क़रीब भी
  • आँखों में जो बात हो गयी है
  • इक रोज़ हुए थे कुछ इशारात
  • इश्क़ की मायूसियों में सोज़-ए-पिन्हाँ
  • इश्क़ तो दुनिया का राजा है
  • इश्क़-बेबाक को रोके हुए है और ही कुछ
  • इस सुकूते फ़िज़ा में खो जाएं
  • उजाड़ बन के कुछ आसार से चमन में मिले
  • उमीदे-मर्ग कब तक
  • उस ज़ुल्फ़ की याद जब आने लगी
  • एक शबे-ग़म वो भी थी जिसमें जी भर आये तो अश्क़ बहायें
  • ऐ ज़ज्बा-ए-निहां और कोई है कि वही है
  • कभी जब तेरी याद आ जाय है
  • कभी पाबन्दियों से छुट के भी
  • कमी न की तिरे वहशी ने
  • कर गई काम वो नज़र
  • क्यों तेरे ग़म-ए-हिज्र में नमनाक हैं पलकें
  • किस तरफ़ से आ रही है आज
  • किसी का यूं तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
  • किसी से छूट के शाद किसे से मिल के ग़मीं
  • कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम
  • कुछ ग़में-जानां कुछ ग़में-दौरां
  • कुछ न कुछ इश्क़ की तासीर का
  • कोई नयी ज़मीं हो
  • कोई पैग़ाम-ए-मोहब्बत लब-ए-एजाज़ तो दे
  • ख़ुदनुमा होके निहाँ छुप के नुमायाँ होना
  • गरचे है तर्के-मोहब्बत में भी आराम बहुत
  • ग़म तिरा जल्वा-गह-ए-कौन-ओ-मकाँ है
  • ग़ैर क्या जानिये क्यों मुझको
  • छलक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं
  • छिड़ गये साज़े-इश्क़ के गाने
  • जब नजर आप की हो गई है
  • जिससे कुछ चौंक पड़ें सोई हुई तकदीरें
  • जुनून-ए-कारगर है और मैं हूँ
  • जो दिलो-जिगर में उतर गई
  • जो बात है हद से बढ़ गयी है
  • जो भूलतीं ही नहीं,याद भी नहीं आतीं
  • जौर-ओ-बे-मेहरी-ए-इग़्माज़ पे
  • ज़मी बदली फ़लक बदला मज़ाके-ज़िन्दगी बदला
  • ज़हे-आबो-गिल की ये कीमिया, है चमन की मोजिज़ा-ए-नुमू
  • ज़िन्दगी क्या है ये मुझसे पूछते हो दोस्तो
  • ज़िंदगी दर्द की कहानी है
  • ज़ेर-ओ-बम से साज़-ए-ख़िलक़त के जहाँ बनता गया
  • डरता हूँ कामियाबी-ए-तकदीर देखकर
  • तमाम कैफ़ ख़मोशी तमाम नग़्म-ए-साज़
  • तहों में दिल के जहां कोई वारदात हुई
  • तुम्हें क्यूँकर बताएँ ज़िंदगी को क्या
  • तूर था काबा था दिल था
  • तेज़ एहसास-ए-ख़ुदी दरकार है
  • थरथरी सी है आसमानों में
  • दयारे-गै़र में सोज़े-वतन की आँच न पूछ
  • दीदनी है नरगिसे-ख़ामोश का तर्ज़े-ख़िताब
  • दीदार में इक-तरफ़ा दीदार नज़र आया
  • देखते देखते उतर भी गये
  • देखा हर एक शाख पे गुंचो को सरनिगूँ
  • दौर-ए-आग़ाज़-ए-जफ़ा दिल का
  • न आना तेरा अब भी गरचे
  • नई हुई फिर रस्म पुरानी
  • ना जाना आज तक क्या शै खुशी है
  • न जाने अश्क से आँखों में क्यों है आये हुए
  • न पूछ क्या काम कर गई है
  • नर्म फ़ज़ा की करवटें दिल को
  • निगाह-ए-नाज़ ने पर्दे उठाए हैं क्या क्या
  • निगाहों में वो हल कई मसायले-हयात के
  • नैरंगे रोज़गार में कैफ़े-दवाम देख
  • फ़रिश्तों और देवताओं का भी
  • 'फ़िराक़' इक नई सूरत निकल तो
  • बन्दगी से कभी नहीं मिलती
  • बस्तियाँ ढूँढ रही हैं उन्हें वीरानों में
  • बहसें छिड़ी हुई हैं हयात-ओ-ममात की
  • बहुत पहले से उन कदमो की आहट जान लेते हैं
  • बे ठिकाने है दिले-ग़मगीं ठिकाने की कहो
  • मय-कदे में आज इक दुनिया को
  • मुझको मारा है हर एक दर्द-ओ-दवा से पहले
  • मैं होशे-अनादिल हूँ मुश्किल है सँभल जाना
  • मौत इक गीत रात गाती थी
  • यूँ माना ज़ि‍न्दगी है चार दिन की
  • ये कौल तेरा याद है साक़ी-ए-दौराँ
  • ये तो नहीं कि ग़म नहीं
  • ये नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चराग़
  • ये निकहतों कि नर्म रवी
  • ये मौत-ओ-अदम कौन-ओ-मकाँ
  • ये सबाहत की ज़ौ महचकां
  • ये सुरमई फ़ज़ाओं की कुछ कुनमुनाहटें
  • रस में डूब हुआ लहराता बदन
  • रस्म-ओ-राह-ए-दहर क्या
  • रात आधी से ज्यादा गई थी
  • रात भी नींद भी कहानी भी
  • रुकी-रुकी सी शबे-मर्ग खत्म पर आई
  • लुत्फ़-सामाँ इताब-ए-यार भी है
  • वक़्त-ए-ग़ुरूब आज करामात हो गई
  • वादे की रात मरहबा, आमदे-यार मेहरबाँ
  • वुसअते-बेकराँ में खो जायें
  • वो आँख जबान हो गई है
  • वो चुप-चाप आँसू बहाने की रातें
  • शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो
  • समझता हूँ कि तू मुझ से जुदा है
  • सर में सौदा भी नहीं, दिल में तमन्ना भी नहीं
  • सितारों से उलझता जा रहा हूँ
  • सुकूत-ए-शाम मिटाओ बहुत अंधेरा है
  • सुना तो है कि कभी बे-नियाज़-ए-ग़म थी
  • सोज़े-पिनहाँ हो,चश्मे-पुरनम हो
  • हमको तुमको फेर समय का ले आई
  • हमनवा कोई नहीं है वो चमन मुझको दिया
  • हमसे फ़िराक़ अकसर छुप-छुप कर
  • हर नाला तिरे दर्द से अब
  • हाथ आए तो वही दामन-ए-जानाँ
  • हाल सुना फ़सानागो, लब की फ़ुसूँगरी के भी
  • हिज्र-ओ-विसाल-ए-यार का पर्दा
  • हिज़ाबों में भी तू नुमायूँ नुमायूँ
  • हुस्न का जादू जगाए इक ज़माना
  • है अभी महताब बाक़ी और बाक़ी है शराब
  • होकर अयाँ वो ख़ुद को छुपाये
  • हो के सर-ता-ब-क़दम आलम-ए-असरार चला
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