सन्धिनी महादेवी वर्मा

Sandhini Mahadevi Verma

'सन्धिनी' में अन्य काव्य संग्रहों से ली गई रचनायें हैं ।

  • निशा की धो देता राकेश-विसर्जन
  • वे मुस्काते फूल नहीं-अधिकार
  • छाया की आँखमिचौनी-अभिमान
  • इस एक बूँद आँसू में-उत्तर
  • जिस दिन नीरव तारों से-प्रतीक्षा
  • मधुरिमा के, मधु के अवतार-फूल
  • जो तुम आ जाते एक बार
  • चुभते ही तेरा अरुण बान-रश्मि
  • शून्यता में निद्रा की बन-?
  • रजतरश्मियों की छाया में धूमिल घन-दुःख
  • कुमुद-दल से वेदना के दाग़ को-कौन है?
  • स्मित तुम्हारी से छलक यह ज्योत्स्ना अम्लान-मेरा पता
  • इन आँखों ने देखी न राह कहीं-अलि से
  • दिया क्यों जीवन का वरदान-उपालम्भ
  • कह दे माँ क्या अब देखूँ-दुविधा
  • तुम हो विधु के बिम्ब और मैं-मैं और तू
  • प्रिय इन नयनों का अश्रु-नीर
  • धीरे धीरे उतर क्षितिज से
  • पुलक पुलक उर, सिहर सिहर तन
  • कौन तुम मेरे हृदय में
  • विरह का जलजात जीवन
  • बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ
  • मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
  • टूट गया वह दर्पण निर्मम
  • मुस्काता संकेत-भरा नभ
  • झरते नित लोचन मेरे हों
  • लाए कौन संदेश नए घन
  • प्राणपिक प्रिय-नाम रे कह
  • क्या पूजन क्या अर्चन रे
  • जाग बेसुध जाग
  • प्रिय! सान्ध्य गगन
  • रागभीनी तू सजनि
  • जाने किस जीवन की सुधि ले
  • शून्य मन्दिर में बनूँगी
  • शलभ मैं शापमय वर हूँ
  • मैं सजग चिर साधना ले
  • मैं नीर भरी दुख की बदली
  • फिर विकल हैं प्राण मेरे
  • चिर सजग आँखे उनींदी
  • कीर का प्रिय आज पिंजर खोल दो
  • क्यों मुझे प्रिय हों न बन्धन
  • हे चिर महान्
  • तिमिर में वे पदचिह्न मिले
  • दीप मेरे जल अकम्पित
  • पंथ होने दो अपरिचित
  • प्राण हँस कर ले चला जब
  • सब बुझे दीपक जला लूँ
  • हुए शूल अक्षत मुझे धूलि चन्दन
  • कहाँ से आये बादल काले
  • यह मन्दिर का दीप
  • तू धूल-भरा ही आया
  • आँसुओं के देश में
  • मिट चली घटा अधीर
  • अलि कहाँ सन्देश भेजूँ
  • सब आँखों के आँसू उजले
  • क्यों अश्रु न हों श्रृंगार मुझे
  • पथ मेरा निर्वाण बन गया
  • पूछता क्यों शेष कितनी रात
  • तू भू के प्राणों का शतदल
  • पुजारी दीप कहीं सोता है
  • सजल है कितना सवेरा
  • अलि, मैं कण-कण को जान चली
  • यह विदा-वेला-कवीन्द रवींद्र के महाप्रस्थान पर
  • नहीं हलाहल शेष, तरल ज्वाला से
  • हे धरा के अमर सुत ! तुझको अशेष प्रणाम