शब्द राग अडाणा : संत दादू दयाल जी

Shabd Raag Adana : Sant Dadu Dayal Ji

शब्द राग अडाणा संत दादू दयाल जी
(गायन समय रात्रि 12 से 3)

1 त्रिताल

भाई रे ऐसा सद्गुरु कहिए, भक्ति मुक्ति फल लहिए।टेक।
अविचल अमर अविनाशी, अठ सिधि नव निधि दासी।1।
ऐसा सद्गुरु राया, चार पदारथ पाया।2।
अमी महा रस माता, अमर अभय पदा दाता।3।
सद्गुरु त्रिभुवन तारे, दादू पार उतारे।4।

2 ललित ताल

भाई रे भान घड़े गुरु मेरा, मैं सेवक उस केरा।टेक।
कंचन करले काया, घड़-घड़ घाट निपाया।1।
मुख दर्पण माँहिं दिखावे, पिव परकट आण मिलावे।2।
सद्गुरु साचा धोवे, तो बहुर न मैला होवे।3।
तन-मन फेरि सँवारे, दादू कर गह तारे।4।

3 ललित ताल

भाइ रे तेन्हौं रूड़ौ थाये, जे गुरुमुख मारग जाये।टेक।
कुसंगति परिहरिये, सत्संगति अणसरिये।1।
काम क्रोधा नहिं आणैं, वाणी ब्रह्म बखाणैं।2।
विषिया तैं मन वारे, ते आपणपो तारे।3।
विष मूकी अमृत लीधो, दादू रूड़ौ कीधो।4।

4 पंचम ताल

बाबा मन अपराधी मेरा, कह्या न माने तेरा।टेक।
माया-मोह मद माता, कनक कामिनी राता।1।
काम-क्रोधा अहंकारा, भावे विषय विकारा।2।
काल मीच नहिं सूझे, आतम राम न बूझे।3।
समर्थ सिरजनहारा, दादू करै पुकारा।4।

5 पंचम ताल

भाई रे यों विनशै संसारा, काम-क्रोधा अहंकारा।टेक।
लोभ मोह मैं मेरा, मद मत्सर बहुतेरा।1।
आपा पर अभिमाना, केता गर्व गुमाना।2।
तीन तिमिर नहिं जाहीं, पंचों के गुण माँहीं।3।
आतम राम न जाना, दादू जगत् दिवाना।4।

6 रूपक ताल

भाई रे तब क्या कथसि गियाना, जब दूसर नाँहीं आना।टेक।
जब तत्तवहिं तत्तव समाना, जहाँ का तहाँ ले साना।1।
जहाँ का तहाँ मिलावा, ज्यों था त्यों होइ आवा।2।
संधो संधि मिलाई, जहाँ तहाँ थिति पाई।3।
सब अंग सब ही ठाँई, दादू दूसर नाँहीं।4।

।इति राग अडाणा सम्पूर्ण।

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