शब्द राग कालिंगड़ा : संत दादू दयाल जी

Shabd Raag Kalingada : Sant Dadu Dayal Ji

शब्द राग कालिंगड़ा संत दादू दयाल जी
(गायन समय प्रभात 3 से 6)

1 रंग ताल

वाल्हा हूँ ताहरी तूं म्हारो नाथ,
तुम सौं पहली प्रीतड़ी, पूरबलो साथ।टेक।
वाल्हा मैं तूं म्हारो ओलेखियो रे, राखिस तूं नैं हृदा मंझारि।
हूँ पामू पीव आपणों रे, त्रिभुवन दाता देव मुरारि।1।
वाल्हा मन म्हारो मन माँहीं राखिस, आतम एक निरंजन देव।
चित माँहीं चित सदा निरंतर, येणीं पेरें तुम्हारी सेव।2।
वाल्हा भाव भक्ति हरि भजन तुम्हारो, प्रेमै पूरि कमल विगास।
अभि अंतर आनन्द अविनाशी, दादू नी एवैं पूरबी आस।3।

2 वर्ण भिन्न ताल

बार हि बार कहूँ रे गहिला, राम नाम कांइ विसारयो रे।
जन्म अमोलक पामियो, एह्नो रतन कांई हारयो रे।टेक।
विषया वाह्यो नैं तहाँ धायो, कीधो नहिं म्हारो वारयो रे।
माया धान जोई नैं भूल्यो, सर्वस येणे हारयो रे।1।
गर्भवास देह दमतो प्राणी, आश्रम तेह सँभारयो रे।
दादू रे जन राम भणीजे, नहिं तो यथा विधि हारयो रे।2।

।इति राग कालिंगड़ा सम्पूर्ण।

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