Sumitranandan Pant
सुमित्रानंदन पंत

सुमित्रानंदन पंत (20 मई 1900-28 दिसम्बर 1977) का जन्म अल्मोड़ा (उत्तर प्रदेश) के कैसोनी गाँव में हुआ था। इनके जन्म के पश्चात् ही इनकी माँ चल बसी और इनका पालन-पोषण इनकी दादी ने ही किया। आपका वास्तविक नाम गुसाईं दत्त था और बाद में आपने अपना नाम सुमित्रानंदन पंत रख लिया। 1919 में महात्मा गाँधी के सत्याग्रह से प्रभावित होकर अपनी शिक्षा अधूरी छोड़ दी और स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रिय हो गए। हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी और बंगला का स्वाध्याय किया। आप प्रकृति-प्रेमी थे और बचपन से ही सुन्दर रचनाएँ लिखा करते थे। आपकी प्रमुख कृतियां हैं : उच्छ्वास, पल्लव, वीणा, ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, युगांतर, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, सत्यकाम, मुक्ति यज्ञ, तारापथ, मानसी, युगवाणी, उत्तरा, रजतशिखर, शिल्पी, सौवर्ण, अतिमा, युगपथ, पतझड़, अवगुंठित, ज्योत्सना, मेघनाद वध। खादी के फूल हरिवंशराय बच्चन के साथ संयुक्त संग्रह है । मधुज्वाल उमर ख़ैयाम की रुबाइयों का फारसी से हिन्दी में अनुवाद है । आपको "चिदम्बरा" के लिये भारतीय ज्ञानपीठ, लोकायतन के लिये सोवियत नेहरू शांति पुरस्कार और हिन्दी साहित्य की अनवरत सेवा के लिये पद्मभूषण से अलंकृत किया गया।

सुमित्रानंदन पंत की प्रसिद्ध कविताएँ

  • अग्नि
  • अनुभूति
  • अप्सरा
  • अमर स्पर्श
  • अमृत
  • अमृत क्षण
  • अयुगल
  • अलि! इन भोली बातों को
  • अवरोहण
  • अव्यक्त
  • अविच्छिन्न
  • अहिंसा
  • अज्ञात स्‍पर्श
  • अंतर्गमन
  • अंतर्मानस
  • अंतर्लोक
  • अंतर्व्यथा
  • अंतर्वाणी
  • अंतर्विकास
  • अंतिम पैगम्बर
  • आकांक्षा
  • आगमन
  • आज रहने दो यह गृह-काज
  • आज शिशु के कवि को अनजान
  • आज़ाद
  • आते कैसे सूने पल
  • आत्मबोध
  • आत्मानुभूति
  • आधुनिका
  • आर्त
  • आर्षवाणी
  • आवाहन
  • आह्वान
  • आशंका
  • आँखों की खिड़की से उड़-उड़
  • आँगन से
  • आँसू
  • आँसू की आँखों से मिल
  • इन्द्र
  • इंद्रिय प्रमाण
  • उच्छ्वास
  • उद्बोधन
  • उन्मेष
  • १९४०
  • एक
  • एक तारा
  • एकं सत्
  • ऐ मिट्टी के ढेले अनजान
  • कठपुतले
  • कब से विलोकती तुमको
  • कर्म का मन
  • कृषक
  • कृष्ण घन
  • करुणा
  • क्रोटन की टहनी
  • कलरव किसको नहीं सुहाता
  • कला
  • कला के प्रति
  • कवि किसान
  • कहारों का रुद्र नृत्य
  • काल अश्व
  • कालातीत
  • काले बादल
  • काव्य चेतना
  • कीर्ति
  • कुसुमों के जीवन का पल
  • कुंठित
  • कोपलें
  • कौवे के प्रति
  • क्या मेरी आत्मा का चिर-धन
  • खिलतीं मधु की नव कलियाँ
  • खिड़की से
  • खो गई स्वर्ग की स्वर्ण-किरण
  • खोज
  • गणपति उत्सव
  • गर्जन कर मानव-केशरि
  • गंगा
  • गंगा का प्रभात
  • गंगा की साँझ
  • ग्राम
  • ग्राम कवि
  • ग्राम चित्र
  • ग्राम दृष्टि
  • ग्राम देवता
  • ग्राम नारी
  • ग्राम युवती
  • ग्राम वधू
  • ग्राम श्री
  • ग्रामीण
  • गा, कोकिल, बरसा पावक-कण
  • गाता खग प्रातः उठकर
  • गाँव के लड़के
  • गीत खग
  • गीत विहग
  • गीतों का दर्पण
  • गुलदावदी
  • गोपन
  • घन नाद
  • घर
  • चमारों का नाच
  • चरख़ा गीत
  • चंचल पग दीप-शिखा-से धर
  • चंद्रोदय
  • चाँद
  • चाँदनी
  • चित्रकरी
  • चींटी
  • चींटियों की-सी काली-पाँति
  • चेतन
  • चौथी भूख
  • छाया-काल
  • छाया दर्पण
  • छाया पट
  • छायाभा
  • जग के उर्वर-आँगन में
  • जग के दुख-दैन्य-शयन पर
  • जग-जीवन में जो चिर महान
  • जगत घन
  • जगती के जन पथ, कानन में
  • जन्म भूमि
  • जागरण
  • जाति मन
  • जाने किस छल-पीड़ा से
  • जीवन उत्सव
  • जीवन का उल्लास
  • जीवन का फल, जीवन का फल
  • जीवन की चंचल सरिता में
  • जीवन-यान
  • जीवन स्पर्श
  • जो दीन-हीन, पीड़ित, निर्बल
  • ज्योति झर
  • ज्योति भारत
  • ज्योति वृषभ
  • झर गई कली, झर गई कली
  • झर पड़ता जीवन-डाली से
  • झंझा में नीम
  • तप रे मधुर-मधुर मन
  • तारों का नभ! तारों का नभ
  • ताल कुल
  • तुम ईश्वर
  • तुम मेरे मन के मानव
  • तुम्हारी आँखों का आकाश
  • तेरा कैसा गान
  • दृष्टि
  • द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र
  • द्वन्द्व प्रणय
  • द्वा सुपर्णा
  • दंतकथा
  • दिवा स्वप्न-दिन की इस विस्तृत आभा में
  • दिवा स्वप्न-मेघों की गुरु गुहा
  • देखूँ सबके उर की डाली
  • देन
  • देव
  • देव काव्य
  • देहमान
  • दो मित्र
  • दो लड़के
  • धनपति
  • धर्मदान
  • धेनुएं
  • धोबियों का नृत्य
  • ध्वजा वंदना
  • नया देश
  • नयी नींव
  • नरक में स्वर्ग
  • नर की छाया
  • नव इंद्रिय
  • नवदृष्टि
  • नवल मेरे जीवन की डाल
  • नव वधू के प्रति
  • नव हे, नव हे
  • नहान
  • नक्षत्र
  • नारी
  • नारी-रूप
  • निर्झर
  • निर्झरी
  • नीरव-तार हृदय में
  • नील-कमल-सी हैं वे आँख
  • नौका-विहार
  • पट परिवर्तन
  • पतझर-झरो, झरो, झरो
  • पतझर-रिक्त हो रही आज डालियाँ
  • पतिता
  • पद
  • प्रकाश
  • प्रकाश, पतंगे, छिपकलियाँ
  • परकीया
  • प्रच्छन मन
  • प्रणय कुंज
  • प्रणाम
  • प्रतीति
  • प्रतीक्षा
  • प्रभात का चाँद
  • प्रश्न
  • प्राण! तुम लघु-लघु गात
  • प्राणाकांक्षा
  • परिणति
  • प्रिय बच्चन को
  • प्रिये, प्राणों की प्राण
  • परिवर्तन
  • प्रीति निर्झर
  • प्रेम
  • प्रेम मुक्ति
  • पल्लव
  • पलाश
  • पलाश के प्रति
  • १५ अगस्त १९४७
  • पादपीठ
  • पारदर्शी
  • पुण्य प्रसू
  • पुरुषार्थ
  • फूल
  • बदली का प्रभात
  • बढ़ो अभय, विश्वास-चरण धर
  • बंद तुम्हारे द्वार
  • बादल
  • बापू-किन तत्वों से गढ़ जाओगे
  • बापू-चरमोन्नत जग में जब
  • बाह्य बोध
  • बाँधो, छबि के नव बन्धन बाँधो
  • बाँसों का झुरमुट
  • बिम्ब
  • बूढ़ा चाँद
  • भारत ग्राम
  • भारत गीत
  • भारतमाता
  • भाव
  • भाव रूप
  • भावोन्मेष
  • भूत दर्शन
  • भू प्रेमी
  • भू लता
  • मज़दूरनी के प्रति
  • मत्सय गंधाएं
  • मधुकरी
  • मधुछत्र
  • मधुवन
  • मध्यवर्ग
  • मनुष्यत्व
  • मनोमय
  • मर्म कथा
  • मर्म व्यथा
  • महात्मा जी के प्रति
  • मृत्युंजय
  • मंगल स्तवन
  • मंजरित आम्र-वन-छाया में
  • मातृ चेतना
  • मातृ शक्ति
  • मानवपन
  • मानव पशु
  • मार्क्स के प्रति
  • मुक्ति बंधन
  • मुख
  • मुझे असत् से
  • मुझे स्वप्न दो
  • मुसकुरा दी थी क्या तुम, प्राण
  • मूर्धन्य
  • मूल्यांकन
  • मेघों के पर्वत
  • मेरा प्रतिपल सुन्दर हो
  • मैं नहीं चाहता चिर-सुख
  • मोह
  • मौन-निमन्त्रण
  • मौन सृजन
  • यज्ञ
  • याचना
  • याद
  • युग उपकरण
  • युगागम
  • युग छाया
  • युग विराग
  • युग विषाद
  • युग संघर्ष
  • रस स्रवण
  • रहस्य
  • रक्षित
  • राग
  • राष्ट्र गान
  • रिक्त मौन
  • रूप सत्य
  • रूपांध
  • शंख ध्वनि
  • रूप-तारा तुम पूर्ण प्रकाम
  • रेखा चित्र
  • लक्ष्मण
  • लाई हूँ फूलों का हास
  • लोक सत्य
  • वन-वन, उपवन
  • वर्जनाएँ
  • वरदान
  • वरुण
  • वसन्त-श्री
  • वह बुड्ढा
  • वह लेटी है तरु-छाया में
  • वह विजन चाँदनी की घाटी
  • वाचाल
  • वाणी
  • विकास
  • विजय
  • विद्रुम औ' मरकत की छाया
  • विनय-मा ! मेरे जीवन की हार
  • विनय-विज्ञान ज्ञान बहु सुलभ
  • विश्व-वेणु
  • विश्व-व्याप्ति
  • विसर्जन
  • विहग के प्रति
  • विहग, विहग
  • वीचि-विलास
  • वे आँखें
  • वे चहक रहीं कुंजों में चंचल सुंदर
  • वे डूब गए
  • व्यक्ति और विश्व
  • शत बाहु-पद
  • शरद
  • शरद चाँदनी
  • शरद शील
  • शांत सरोवर का उर
  • शिशु
  • शील
  • श्रद्धा के फूल
  • सदानीरा
  • सन्यासी का गीत
  • समाजवाद-गांधीवाद
  • सविता
  • सहज गति
  • सृजन शक्तियाँ
  • संध्या के बाद
  • संस्कृति का प्रश्न
  • सागर की लहर लहर में
  • साधना
  • सान्निध्य
  • साम्राज्यवाद
  • सामंजस्य
  • सार्थकता
  • सावन
  • सांस्कृतिक हृदय
  • सुन्दरता का आलोक-श्रोत
  • सुन्दर मृदु-मृदु रज का तन
  • सुन्दर विश्वासों से ही
  • सूर्य मन
  • सूक्ष्म गति
  • सूत्रधार
  • सोमपायी
  • सौन्दर्य कला
  • श्रमजीवी
  • स्मृति-आँख में 'आँसू' भर अनजान
  • स्मृति-वन फूलों की तरु डाली में
  • स्याही का बूँद
  • स्वप्न और सत्य
  • स्वप्न देही
  • स्वप्न निर्बल
  • स्वप्न पट
  • स्वप्न बंधन
  • स्वर्ग अप्सरी
  • स्वर्ण निर्झर
  • स्वर्णधूलि
  • स्वीट पी के प्रति
  • स्त्री
  • हरीतिमा
  • हृदय तारुण्य
  • हिमाद्रि और समुद्र
  • क्षण जीवी