दस्ते सबा : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
Dast-e-Saba in Hindi Faiz Ahmed Faiz
आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
अब वही हर्फ़े-जुनूं सबकी ज़बां ठहरी है
दिल में अब, यूँ तिरे भूले हुए ग़म आते हैं
फ़िक्रे-दिलदारी-ए-गुलज़ार करूं या न करूं
गरानी-ए-शबे-हिज्राँ दुचंद क्या करते
इज्ज़े अहले-सितम की बात करो
कभी-कभी याद में उभरते हैं, नक़्शे-माज़ी मिटे-मिटे से
किसी गुमाँ पे तवक़्क़ो ज़ियादा रखते हैं
क़र्जे-निगाहे-यार अदा कर चुके हैं हम
रंग पैराहन का, ख़ुशबू जुल्फ़ लहराने का नाम
शफ़क़ की राख में जल-बुझ गया सितारः-ए-शाम
तेरी सूरत जो दिलनशीं की है
तुम आए हो न शबे-इन्तिज़ार गुज़री है
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
वहीं हैं, दिल के क़राइन तमाम कहते हैं
यादे-ग़ज़ालचश्मां, ज़िक्रे-समनइज़ारां
ऐ दिले-बेताब, ठहर
सियासी लीडर के नाम
मिरे हमदम, मिरे दोस्त
सुब्हे-आज़ादी-(अगसत, '४७)
हम परवरिशे-लौहो-क़लम करते रहेंगे-लौहो-क़लम
शोरिशे-बरबतो-नै
दामने-यूसुफ़
तौको-दार का मौसम
सरे-मकतल
तुम्हारे हुस्न के नाम
दरबार-ए-वतन में जब इक दिन-तराना
दो इश्क
नौहा
ईरानी तुलबा के नाम
रौशन कहीं बहार के इमकां हुए तो हैं-अगस्त, १९५२
निसार मैं तेरी गलियों के ऐ वतन
शीशों का मसीहा कोई नहीं
ज़िन्दाँ की एक शाम
ज़िन्दां की एक सुबह
याद-दशते-तनहायी में, ऐ जाने-जहां
Dast-e-Saba in Hindi Faiz Ahmed Faiz