Joram Yalam Nabam

जोराम यालाम नाबाम

जोराम यालाम नाबाम अरुणाचल प्रदेश की लेखक, कहानीकार, उपन्यासकार और कवयित्री हैं । यालाम नाबाम पूर्वोत्तर भारत में लिखे जा रहे हिंदी कथा साहित्य का चर्चित नाम हैं। कविता के क्षेत्र में जोराम यालाम नाबाम की कलम नई है। यालाम लोवर-सुबानसिरी जिले के जोराम गाँव में, पाँच मार्च को जन्मी; वर्तमान में राजीव गांधी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में सहायक प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत हैं । इन्होने पीएच. डी. की उपाधि भी इसी विश्वविद्यालय से प्राप्त की है । 2012 में ‘‘साक्षी है पीपल’’ नामक कहानी संग्रह आया जिसमें 9 लम्बी कहानियाँ हैं। अरुणाचल प्रदेश के बहुसंख्यक न्यीशी आदिवासी समुदाय से आनेवाली जोराम यालाम आदिवासी अस्मिता, संस्कृति और अस्तित्व के प्रश्नों में गहरी दिलचस्पी रखती हैं। इन विषयों पर वे पत्र-पत्रिकाओं में लगातार लिखती रही हैं। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘साक्षी है पीपल’ (कहानी-संग्रह); ‘जंगली फूल’ (उपन्यास); ‘गाय-गेका की औरतें’ (संस्मरण); ‘न्यीशी समाज : भाषिक अध्ययन’ (शोध) और ‘तानी कथाएँ : अरुणाचल के तानी आदिवासी समाज की विश्वदृष्टि (लोक कथा विश्लेषण)। 2014 में एक और कहानी संग्रह ‘‘तानी मोमेन’’ (लोक कथाएँ) आया। ‘‘जंगली फूल’’ यालाम का पहला उपन्यास है। इन्हें साहित्य मंथन सृजन पुरस्कार 2013 से सम्मानित किया गया है ।
'जोराम यालाम नाबाम की कविताओं में आतंक, भय, राजनीतिक दाँव-पेंच, खून-खराबे से त्रस्त जीवन को आदिम प्रकृति की ओर आने का आत्मीय आमंत्रण है। ये केवल कविताएँ नहीं हैं, खुद को अपने परिवेश के साझेपन में देखने का आदिम विश्वास भी है। इसलिए इनमें मनुष्य होने की वह गरिमा है जिसे सभ्यता ने विकास की कीमत पर छीन लिया है। इसे बेहद अफसोस के साथ कहना पड़ता है देश के जिन हिस्सों में गणराज्य की सुविधाएँ नागरिक जिम्मेदारियों के निर्वाह के कर्तव्य-बोध के साथ नहीं पहुँची, वहाँ गणराज्य सैन्य-अभियानों, उदासीनताओं, उपेक्षाओं और नकार-बोध के साथ पहुँचा।' - बसन्त त्रिपाठी