Rajshekhar
राजशेखर

राजशेखर (15 जुलाई 2002-) का जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के एक छोटे से गांव पनवाड़ी में हुआ । इनके माता-पिता का नाम कुसुम एवं हंसराम है । इनका बचपन का नाम राजा बाबू था, प्यार से लोग बाबूजी बुलाया करते थे । राजशेखर पढ़ने में इतने अच्छे नहीं थे, फिर इनके पिताजी देहरादून आ गए देहरादून में इनका दाखिला करा दिया । समय के साथ साथ माता-पिता की मेहनत की कद्र की और पढ़ाई में ध्यान लगाने लगे । अपने कक्षा अध्यापक से कविता लिखने की प्रेरणा ली ।
''सवेरे का इंतजार सोने वाले करते हैं,
जागने वाले जब जागते हैं,
तब नया सूरज उनका इंतजार कर रहा होता है ।।''

राजशेखर की कविताएँ

1. मिल्खा सिंह

जो हार को भी जीत कर दे मैं जानता हूं, उस सरदार को ।

उठ जा जागता है, बस जीतने की चाह में,
जो भागता नहीं उड़ता है, आसमान में,
देखा है, हमने उसको जीतते संसार को,
जो हार को भी जीत कर दे मैं जानता हूं, उस सरदार को ।

करले हर जीत अपनी, अगर एक बार कह दे,
हर दौड़ में जिसने इतिहास बदले,
मैं सर झुका कर नमन करता हूं, उसके विश्वास को,
जो हार को भी जीत कर दे मैं जानता हूं, उस सरदार को।

उसके पैरों से वो बहता खून देखा है मैंने,
दर्द में भी भागते उसको देखा है मैंने,
देखा है मैंने उसकी ऊंची उड़ान को,
जो हार को भी जीत कर दे मैं जानता हूं, उस सरदार को ।

कोयले से निकल कॉल को हराया जिसने,
संसार पर विजय कर अपना लोहा मनाया जिसने,
मैं गुरु मानता हूं मिल्खा सिंह को,
जो हार को भी जीत कर दे मैं जानता हूं, उस सरदार को ।

2. लोह पुरुष सरदार पटेल

इस आजाद देश में, कहने की तो बात नहीं,
सरदार पटेल ने ही, एकता की का कमान संभारी है ।
तब जाकर यह देश कहीं दुश्मनों पर भारी है ।
आज यह एकत्र भारत लोह पुरुष का कण -कण आभारी है ।

भिन्नता में अभिन्नता क्या है,बताया जिसने,
अनेकता में एकता का अर्थ, समझाया जिसने ,
जिसने समझाया हमको, अभिन्न रहना ही समझदारी है ।
आज यह एकत्र भारत लोह पुरुष का कण -कण आभारी है ।

हिंदू मुस्लिम एक किए,सिख ईसाई भी अभिन्न किए।
रंगभेद, जाती-पाती इन सबको को दूर किए।
देश की एकता ना टूटे, अब यह बस अपनी जिम्मेदारी है ।
आज यह एकत्र भारत लोह पुरुष का कण -कण आभारी है ।

कहीं राम कहे कोई, कहीं रहीम पुकारे हैं ।
अंग्रेज चाहे दूर रहें फिर भी, यहां भाई पर भाई की चलती हर पल तलवारे हैं ।
भारत को जिसने एकजुट किया और दूर करिए बीमारी है ।
आज यह एकत्र भारत लोह पुरुष का कण -कण आभारी है ।