Sahil Sagar
साहिल सागर

साहिल सागर की कविताएँ

1. सरकारी नौकरी

जब से होश सम्हाला है, तेरे ही ख़्वाब देखे हैं
तुम्हारे नाम का ज़िक्र होते ही,
होटों पर मुस्कुराहट आ जाती है।
सरकारी नौकरी।

मेरी इस एकतरफा चाहत को,
दो तरफा कर दो न,
मेरी किस्मत की लकीरों में, छा जाओ ना,
मेरी सरकारी नौकरी।

हमारी ख़ता सिर्फ़ इतनी सी है कि,
बेरोज़गारी के इस आलम में,
बेइंतेहा मोहब्बत हम तुमसे कर बैठे,
सरकारी नौकरी।

तुम्हारे आने का इत्मीनान से इंतजार करता हूं,
मेरी सरकारी नौकरी।
सरकारी नौकरी।

2. आगामी मुस्कान

आधुनिक सूरत पर सिलवट हुआ,
व्याख्या सहित चला आ रहा आगामी मुस्कान,
आयोजक नयन भीगा भीगा,
प्रायोजक बूंद बूंद श्रृंगार किया,
प्रावधान में भी सहमति हुआ आगामी मुस्कान,
अंतर्मन में पुष्प खिला,
चर्चित चहल पहल कण कण में,
प्रस्ताव हृदय का इंतजार हुआ, आगामी मुस्कान,
विभाजन ने संन्यास लिया मुख्यालय बना,
नज़ारा नज़र हुआ, आगामी मुस्कान,
आदि इत्यादि देश विदेश परदेश,
सम्मान से समिल्लित हुआ, आगामी मुस्कान ।।

(साहिल सागर-(छत्तीसगढ़))