आरती और अंगारे हरिवंशराय बच्चन

Aarti Aur Angaare Harivansh Rai Bachchan

  • ओ, उज्‍जयिनी के वाक्-जयी जगवंदन
  • खजुराहो के निडर कलाधर
  • याद आते हो मुझे तुम
  • श्‍यामा रानी थी पड़ी रोग की शय्या पर
  • अंग से मेरे लगा तू अंग ऐसे
  • गर्म लोहा पीट, ठंडा लोहा पीटने को वक्‍त बहुतेरा पड़ा है
  • पीठ पर धर बोझ, अपनी राह नापूँ
  • इस रुपहरी चाँदनी में सो नहीं सकते पखेरू और हम भी
  • आज चंचला की बाहों में उलझा दी हैं बाहें मैंने
  • साथ भी रखता तुम्‍हें तो, राजहंसिनि
  • बौरे आमों पर बौराए भौंर न आए
  • अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं
  • मैं सुख पर, सुखमा पर रीझा
  • माना मैंने मिट्टी, कंकड़, पत्‍थर, पूजा
  • दे मन का उपहार सभी को
  • मैंने जीवन देखा, जीवन का गान किया
  • मैंने ऐसा कुछ कवियों से सुन रक्‍खा था
  • रात की हर साँस करती है प्रतीक्षा
  • यह जीवन औ' संसार अधूरा इतना है
  • मैं अभी ज़िन्दा, अभी यह शव-परीक्षा