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आडियो कविता : दुष्यंत कुमार
Audio Poetry : Dushyant Kumar
कहीं पे धूप की चादर बिछा के बैठ गए
कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं
मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे
अगर ख़ुदा न करे सच ये ख़्वाब हो जाए
कहीं पे धूप की चादर बिछा के बैठ गए
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