दो चट्टानें हरिवंशराय बच्चन

Do Chattanein Harivansh Rai Bachchan

  • सूर समर करनी करहिं
  • बहुरि बंदि खलगन सति भाएँ
  • उघरहिं अन्त न होइ निबाहू
  • विभाजितों के प्रति
  • २६-१-’६३
  • मूल्य चुकाने वाला
  • २७ मई
  • गुलाब की पुकार
  • द्वीप-लोप
  • गुलाब, कबूतर और बच्चा
  • दो फूल
  • कील-काँटों में फूल
  • विक्रमादित्य का सिंहासन
  • खून के छापे
  • भोलेपन की कीमत
  • गाँधी
  • युग-पंक : युग-ताप
  • बाढ़-पीड़ितों के शिविर में
  • युग और युग
  • लेखनी का इशारा
  • कुकडूँ-कूँ
  • सुबह की बाँग
  • गत्यवरोध
  • गैंडे की गवेषणा
  • श्रृगालासन
  • कवि से, केंचुआ
  • क्रुद्ध युवा बनाम क्रुद्ध वृद्ध
  • काठ का आदमी
  • माँस का फर्नीचर
  • भुस की गठरी और हरी घास का आँगन
  • घर उठाने का बखेड़ा
  • दयनीयता : संघर्ष : ईर्ष्या
  • दिए की माँग
  • शिवपूजन सहाय के देहावसान पर
  • ड्राइंग रूम में मरता हुआ गुलाब
  • दो रातें
  • जीवन-परीक्षा
  • एक फिकर–एक डर
  • माली की साँझ
  • दो युगों में
  • दो बजनिए
  • भिगाए जा, रे
  • मुक्ति के लिए विद्रोह
  • सार्त्र के नोबल-पुरस्कार ठुकरा देने पर
  • शब्द-शर
  • नया-पुराना
  • दो चट्टानें