Dr Muhammad Iqbal
डॉ. अलामा मुहम्मद इकबाल
डॉक्टर मुहम्मद इकबाल को अल्लामा इकबाल के नाम के साथ भी जाना जाता है।
उनका जन्म ९ नवंबर, १८७७ को सियालकोट में हुआ । उनका देहांत २१ अप्रैल, १९३८ को हुआ ।
वह विश्व प्रसिद्ध कवि और दार्शनिक थे। उन्होंने उर्दू और फ़ारसी में कविता की रचना की। उनका
लिखा तराना-ए-हिंद (सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा) आज भी बहुत हरमन प्यारा है। उन की
काव्य रचनायें हैं, असरार-ए-ख़ुदी, रुमूज़-ए-बेख़ुदी और बाँग-ए-दरा। उन का 'ख़ुदी' का तसव्वुर कुरान
शरीफ़ में आता 'रूह' का तसव्वुर ही है। चाहे वह कट्टर मुसलमान थे, परन्तु उन्होंने दूसरे धर्मों के
महापुरुषों जैसे कि राम, गौतम बुद्ध और गुरू नानक देव जी बारे भी बड़े प्यार और सत्कार के
साथ लिखा है। वह अपने आप को बाहरी तौर पर दुनियादार और अंदरूनी तौर पर सपने देखने
वाला, दार्शनिक और रहस्यवादी कहते थे।
डॉक्टर अलामा मुहम्मद इकबाल की शायरी/रचनाएँ