हिंदी कविता अभिषेक कुमार अम्बर
Hindi Poetry Abhishek Kumar Amber

1. सरस्वती वंदना

हे माता मेरी शारदे
तू भव से उतार दे।
बुद्धि को विस्तार दे
ज्ञान का भंडार दे।
हे माता मेरी शारदे।

दूर सब अँधेरे हो
ज्ञान के सवेरे हो।
सुबुद्धि दे ज्ञान दे
सपनों को उड़ान दे।
हे माता मेरी शारदे।

मिटे जुलम की दास्ताँ
न कोई पाप हो यहाँ।
हर तरफ प्यार हो
न कोई तकरार हो।
हे माता मेरी शारदे।

2. हे वीणावादिनी मईया

हे वीणावादिनी मईया
मेरी झोली ज्ञान से भर दे।

सत्य सदा लिखे कलम मेरी
मुझको ऐसा वर दे।
छल दंभ पाखंड झूठ से
हमको दूर करो तुम।
मन में भर दो अविरल ज्योति
तम को दूर करो तुम।
हे शारदे मुझ पे बस तू
ये उपकार कर दे।
मेरी झोली ज्ञान से भर दे।

न भेद जाति धर्म का हो
न ऊँचा कोई नीचा।
सब ही तेरे बच्चे हम हैं
कर्म हमारी पूजा।
मजधार में फंसी है नैया
भव से पार कर दे।
मेरी झोली ज्ञान से भर दे।

3. और न कुछ भी चाहूँ

और न कुछ भी चाहूँ
तुझसे बस इतना ही चाहूँ।
अपने हर एक जन्म में
सिर्फ तुझको ही माँ में पाऊं।
और न कुछ भी चाहूँ।

लाड़ प्यार से मुझको पाला
पिला पिला ममता का प्याला।
गिरा जब जब में तूने संभाला
तुझसे है जीवन में उजाला।
माँ तेरे बलिदान को में
शत् शत् शीश नवाऊँ।
और न कुछ भी चाहूँ।

हर पल मेरी चिंता रहती
मेरे लिए दुःख दर्द है सहती।
रहे सदा खुश मेरा बेटा
सिर्फ यही एक बात है कहती।
क़र्ज़ बहुत है तेरा मुझपर
कैसे इसे चुकाऊं।
और न कुछ भी चाहूँ।

माँ मेरी ममता की मूरत
ईश्वर की लगती है सूरत।
एक अगर जो साथ माँ दे तो
नही किसी की मुझे जरुरत।
तेरे खातिर मेरी माँ में तो
कुछ भी कर जाऊँ।
और न कुछ भी चाहूँ,
अपने हर एक जन्म में
सिर्फ तुझको ही माँ में पाऊं।

4. मिसेज डोली

एक दिल मिसेज डोली,
अपने पति से बोली।
अजी! सुनिए
आज आप बाजार
चले जाइये।
और मेरे लिए
एक क्रीम ले आइये।
सुना है आजकल
टाइम में थोड़े,
क्रीम लगाने से
काले भी हो जाते है गौरे।
ये सुनकर पति ने मुँह खोला,
और हँसते हुए बोला।
अरे ! पगली
तू भी कितनी है भोरी,
क्या क्रीम लगाने से
कभी भैंस भी हुई है गोरी।

5. मास्टर श्यामलाल

हमारे मास्टर श्यामलाल,
करा रहे थे गणित के सवाल।
मास्टर जी ने दो सवाल कराये
और ऐंठ गए।
वापस आ कुर्सी पर बैठ गए।
उन्हीं के पास में बैठे थे
मास्टर सिंधी,
बच्चों को पढ़ाते थे हिंदी।
ब्लैक बोर्ड को देखते होले-होले,
फिर श्यामलाल से बोले।
आपने पाँच मिनट में
सब पढ़ा दिया
ये देख में चौंकता हूँ,
में तो पूरे पीरियड में
एक पाठ नही पढ़ा पाता
जबकि कुत्तों की
तरह भौंकता हूँ।

6. खिड़की को देखूँ
(कुण्डलिया छंद)

खिड़की को देखूँ कभी,कभी घड़ी की ओर,
नींद हमें आती नही, कब होगी अब भोर।
कब होगी अब भोर, खेलने हमको जाना,
मारें चौक्के छक्के, हवा में गेंद उड़ाना।
कह 'अम्बर' कविराय,पड़ोसन हम पर भड़की।
जोर जोर चिल्लाये, देखकर टूटी खिड़की।

7. एग्जाम एंथम

हम होंगे सब में पास
हम होंगे सबमें पास
हम होंगे सब में पास
एक दिन...........।
हो..................।

सोते हैं बिंदास
लिखते हैं बक़वास
फिर भी है विश्वास
मार्क्स मिलेंगे झक्कास
एक दिन..........।
हो.................।

सबके अलग अलग एजेंडे
आज़माते नए नए हथकंडे
जब पेपर में आते अंडे
चलते टीचर जी के डंडे
फिर भी रखते पूरे आस
हम होंगे सबमे पास
एक दिन.............।

व्हाट्सएप पर होता है सवेरा
फेसबुक पर रहता है डेरा
पुस्तक न आती हमें रास
करते खुदा से है अरदास
न हमें इस झंझट में फाँस
हम होंगे सबमे पास
एक दिन.............।

8. साथ जबसे तुम्हारा मिला

साथ जबसे तुम्हारा मिला
सारी दुनिया बदल सी गई।
प्रेम का पुष्प जब से खिला
सारी दुनिया बदल सी गई।

बदला बदला सा मौसम यहां
बदली बदली फिजायें यहां।
पेड़ पौधे सभी झूम कर
प्रेम के गीत गायें यहां।
मन में जबसे ये तूफां उठा
सारी दुनिया बदल सी गई,
प्रेम का पुष्प जबसे खिला
सारी दुनिया बदल सी गई।

गुल खिले मन में गुलशन खिले
आप जबसे हमें हो मिले।
आप से महका आँगन मेरा
भूल बैठे सभी हम गिले।
सर पे छाया अजब सा नशा
सारी दुनिया बदल सी गई,
प्रेम का पुष्प जबसे खिला
सारी दुनिया बदल सी गई।

चाँद तारों में देखूं तुझे
सब नज़ारों में देखूं तुझे।
आइना सामने रखकर
अपनी आँखों में देखूं तुझे।
जबसे दिल ये दीवाना हुआ
सारी दुनिया बदल सी गई,
प्रेम का पुष्प जबसे खिला
सारी दुनिया बदल सी गई।

9. जीवन है एक डगर सुहानी

जीवन है एक डगर सुहानी
सुख दुःख इसके साथी हैं,
कर संघर्ष हमें जीवन में
मंजिल अपनी पानी है ।

बड़ी दूर है मंज़िल अपनी
लंबा बड़ा है इसका रास्ता,
चलता रह बस तू चलता रह
पाकर मंजिल लेना सस्ता।
चल दिखला दे सबको तू
बाकी तुझमें जो जवानी है,
कर संघर्ष हमें जीवन में
मंजिल अपनी पानी है।

मानो मेरी बात सखे तुम
जीवन को न व्यर्थ गँवाना,
याद रखे तुझको ये दुनिया
कर्म कुछ ऐसे करके जाना।
इतिहास के पन्नों पर
लिखनी एक नयी कहानी है।
कर संघर्ष हमें जीवन में
मंजिल अपनी पानी है।

चलते रहना सदा ओ राही
मंजिल तुझको मिल जायेगी,
बस तू थोडा धैर्य रखना
मेहनत तेरी रंग लाएगी।
करके रहना उसको पूरा
मन में जो तूने ठानी है।
कर संघर्ष हमें जीवन में
मंजिल अपनी पानी है।

10. मेहबूबा

सबकी मेहबूबा है वो सबके दिल की रानी है।
मेरी गली के लड़कों पे जबसे आई जवानी है।
कभी कभी लगती मुझको वो सब तालों की चाबी है।
और जिससे पूछों वो ही कहता भैया तेरी भाभी है।
जब अपनी सखियों के संग जाती वो बाजार है।
ऐसे खुश होते हैं सारे जैसे कोई त्यौहार है।
किसी के दिल को चैन नही है सबकी नींद चुरायी है।
किसी को लगती रसगुल्ला तो किसी को बालूशाही है।
गली के सारे लड़कों का ऐसा हाल कर डाला है।
सब जन्मों के प्यासे हैं वो अमृत का प्याला है।
कॉलेज का क्या हाल सुनाऊं सब जगह उसका चर्चा है।
और महंगाई की तरह बढ़ रहा लड़को का अब खर्चा है।
अम्बर पूरे हो पाएंगे क्या उनके मनसूबे हैं।
कॉलेज के सारे लड़के ही अब कर्जे में डूबे हैं।

11. जब तक मानव नही उठेगा

जब तक मानव नही उठेगा,
अपने हक़ को नही लड़ेगा,
होगा तब तक उसका अपमान,
कब तक मदद करे भगवान।

नही यहां कोई तरस है खाता,
खून के प्यासे भ्राता भ्राता,
गूँगे यहाँ पैरवी करते,
बहरा फैसला है सुनाता,
जानते हैं सब सच्चाई को,
फिर भी बनते हैं अनजान,
कब तक मदद करे भगवान।

दोषी को निर्दोष बताते,
सच्चाई को सदा छुपाते,
दिखा अमीरी की ताक़त को,
हम सबकी आवाज़ दबाते,
तनिक विरुद्ध जो इनके जायें,
कर देते जीवन शमशान,
कब तक मदद करे भगवान।

बहुत हुआ चल अब तो जागें,
रणभूमि से पीछे न भागें,
सदा साथ सत्य का दे तू,
चाहें गुरु ही हो तेरे आगे,
उठा हाथ में तीर- कमान,
कब तक मदद करे भगवान

12. बसंत है आया

कू-कू करती कोयल कहती
सर सर करती पवन है बहती।
फूलों पर भँवरें मंडराते
सब मिल गीत ख़ुशी के गाते।
सबको ही ये मौसम भाया
देखो देखो बसंत है आया।

पेड़ों पर बैरी पक आई
खेतों में फसले लहराई।
लदी हुईं फूलों से डाली
देख तितलियाँ हुई मतवाली।
भँवरों का भी मन मचलाया
देखो देखो बसंत है आया।

पड़े बाग़ बासंती झूले
बच्चे फिरते फूले फूले।
झूम झूमकर झूला झूलें
साँझ ढली घर जाना भूले।
सरपट सरपट दौड़े सारे
वायु का भी वेग लजाया।
देखो देखो बसंत है आया।

13. पहन के कोट पेंट

पहन के कोट पेंट तन पे लगा के सेंट,
बनकर बाबू सा में चला ससुराल को।
आकर के मेरे पास बोलने लगी ये सास,
नज़र न लग जाये कहीं मेरे लाल को।
बिलकुल हीरो से तुम लगते हो जीजा जी,
बोलने लगी सालियां खींच मेरे गाल को।
आखिर है क्या राज़ बदले इसके मिज़ाज़,
लग गए है बड़े भाग इस कंगाल को।

14. हाय ! रे ये माह फ़ाग

हाय रे ! ये माह फ़ाग दिल में लगाये आग,
गोरियों को देख प्रेम उमड़े है मन में।
लगती हैं लैला हीर नजरों से मारें तीर,
बिज़ली सी दौड़ पड़े सारे ही बदन में ।
बन गया में शिकार हाय बैठा दिल हार,
उसकी ही सूरतिया बसी अखियन में।
दिल को नही करार हाये होली का है इंतज़ार
रंगों में रंगूँगा तुझे रंगीले सजन में।

15. ख्वाब आँखों में जितने पाले थे

ख्वाब आँखों में जितने पाले थे,
टूट कर के बिखर ने वाले थे।
जिनको हमने था पाक दिल समझा,
उन्हीं लोगों के कर्म काले थे।
पेड़ होंगे जवां तो देंगे फल,
सोच कर के यही तो पाले थे।
सबने भर पेट खा लिया खाना,
माँ की थाली में कुछ निवाले थे।
आज सब चिट्ठियां जला दी वो,
जिनमें यादें तेरी संभाले थे।
हाल दिल का सुना नही पाये,
मुँह पे मजबूरियों के ताले थे।

16. एक ख्वाहिश है

एक ख्वाहिश है बस दिवाने की,
तेरी आँखों में डूब जाने की।
साथ जब तुम निभा नही पाते,
क्या जरूरत थी दिल लगाने की।
आज जब आस छोड़ दी मैनें,
तुमको फुरसत मिली है आने की।
आज दीदार हो गया उसका,
अब जरुरत नही मदीने की।
तेरी हर चाल समझता हूँ मैं,
तुझको आदत है दिल दुखाने की।
हम तो ख़ानाबदोश हैं लोगों,
हमसे मत पूछिये ठिकाने की।