सलोक गुरू अंगद देव जी
Salok Guru Angad Dev Ji in Hindi

1. पवणु गुरू पाणी पिता माता धरति महतु

पवणु गुरू पाणी पिता माता धरति महतु ॥
दिवसु राति दुइ दाई दाइआ खेलै सगल जगतु ॥
चंगिआईआ बुरिआईआ वाचै धरमु हदूरि ॥
करमी आपो आपणी के नेड़ै के दूरि ॥
जिनी नामु धिआइआ गए मसकति घालि ॥
नानक ते मुख उजले केती छुटी नालि ॥1॥8॥

(यही श्लोक थोड़े फ़र्क के साथ पन्ना 146 पर भी दर्ज है)

पउणु गुरू पाणी पिता माता धरति महतु ॥
दिनसु राति दुइ दाई दाइआ खेलै सगल जगतु ॥
चंगिआईआ बुरिआईआ वाचे धरमु हदूरि ॥
करमी आपो आपणी के नेड़ै के दूरि ॥
जिनी नामु धिआइआ गए मसकति घालि ॥
नानक ते मुख उजले होर केती छुटी नालि ॥2॥146॥

2. जिसु पिआरे सिउ नेहु तिसु आगै मरि चलीऐ

जिसु पिआरे सिउ नेहु तिसु आगै मरि चलीऐ ॥
ध्रिगु जीवणु संसारि ता कै पाछै जीवणा ॥2॥83॥

3. जो सिरु सांई ना निवै सो सिरु दीजै डारि

जो सिरु सांई ना निवै सो सिरु दीजै डारि ॥
नानक जिसु पिंजर महि बिरहा नही सो पिंजरु लै जारि ॥1॥89॥

4. देंदे थावहु दिता चंगा मनमुखि ऐसा जाणीऐ

देंदे थावहु दिता चंगा मनमुखि ऐसा जाणीऐ ॥
सुरति मति चतुराई ता की किआ करि आखि वखाणीऐ ॥
अंतरि बहि कै करम कमावै सो चहु कुंडी जाणीऐ ॥
जो धरमु कमावै तिसु धरम नाउ होवै पापि कमाणै पापी जाणीऐ ॥
तूं आपे खेल करहि सभि करते किआ दूजा आखि वखाणीऐ ॥
जिचरु तेरी जोति तिचरु जोती विचि तूं बोलहि विणु जोती कोई किछु करिहु दिखा सिआणीऐ ॥
नानक गुरमुखि नदरी आइआ हरि इको सुघड़ु सुजाणीऐ ॥2॥138।

5. अखी बाझहु वेखणा विणु कंना सुनणा

अखी बाझहु वेखणा विणु कंना सुनणा ॥
पैरा बाझहु चलणा विणु हथा करणा ॥
जीभै बाझहु बोलणा इउ जीवत मरणा ॥
नानक हुकमु पछाणि कै तउ खसमै मिलणा ॥1॥139॥

6. दिसै सुणीऐ जाणीऐ साउ न पाइआ जाइ

दिसै सुणीऐ जाणीऐ साउ न पाइआ जाइ ॥
रुहला टुंडा अंधुला किउ गलि लगै धाइ ॥
भै के चरण कर भाव के लोइण सुरति करेइ ॥
नानकु कहै सिआणीए इव कंत मिलावा होइ ॥2॥139॥

7. सेई पूरे साह जिनी पूरा पाइआ

सेई पूरे साह जिनी पूरा पाइआ ॥
अठी वेपरवाह रहनि इकतै रंगि ॥
दरसनि रूपि अथाह विरले पाईअहि ॥
करमि पूरै पूरा गुरू पूरा जा का बोलु ॥
नानक पूरा जे करे घटै नाही तोलु ॥2॥146॥

8. अठी पहरी अठ खंड नावा खंडु सरीरु

अठी पहरी अठ खंड नावा खंडु सरीरु ॥
तिसु विचि नउ निधि नामु एकु भालहि गुणी गहीरु ॥
करमवंती सालाहिआ नानक करि गुरु पीरु ॥
चउथै पहरि सबाह कै सुरतिआ उपजै चाउ ॥
तिना दरीआवा सिउ दोसती मनि मुखि सचा नाउ ॥
ओथै अम्रितु वंडीऐ करमी होइ पसाउ ॥
कंचन काइआ कसीऐ वंनी चड़ै चड़ाउ ॥
जे होवै नदरि सराफ की बहुड़ि न पाई ताउ ॥
सती पहरी सतु भला बहीऐ पड़िआ पासि ॥
ओथै पापु पुंनु बीचारीऐ कूड़ै घटै रासि ॥
ओथै खोटे सटीअहि खरे कीचहि साबासि ॥
बोलणु फादलु नानका दुखु सुखु खसमै पासि ॥1॥146॥

9. आखणु आखि न रजिआ सुनणि न रजे कंन

आखणु आखि न रजिआ सुनणि न रजे कंन ॥
अखी देखि न रजीआ गुण गाहक इक वंन ॥
भुखिआ भुख न उतरै गली भुख न जाइ ॥
नानक भुखा ता रजै जा गुण कहि गुणी समाइ ॥2॥147॥

10. मंत्री होइ अठूहिआ नागी लगै जाइ

मंत्री होइ अठूहिआ नागी लगै जाइ ॥
आपण हथी आपणै दे कूचा आपे लाइ ॥
हुकमु पइआ धुरि खसम का अती हू धका खाइ ॥
गुरमुख सिउ मनमुखु अड़ै डुबै हकि निआइ ॥
दुहा सिरिआ आपे खसमु वेखै करि विउपाइ ॥
नानक एवै जाणीऐ सभ किछु तिसहि रजाइ ॥1॥148॥

11. नानक परखे आप कउ ता पारखु जाणु

नानक परखे आप कउ ता पारखु जाणु ॥
रोगु दारू दोवै बुझै ता वैदु सुजाणु ॥
वाट न करई मामला जाणै मिहमाणु ॥
मूलु जाणि गला करे हाणि लाए हाणु ॥
लबि न चलई सचि रहै सो विसटु परवाणु ॥
सरु संधे आगास कउ किउ पहुचै बाणु ॥
अगै ओहु अगमु है वाहेदड़ु जाणु ॥2॥148॥

12. निहफलं तसि जनमसि जावतु ब्रहम न बिंदते

निहफलं तसि जनमसि जावतु ब्रहम न बिंदते ॥
सागरं संसारसि गुर परसादी तरहि के ॥
करण कारण समरथु है कहु नानक बीचारि ॥
कारणु करते वसि है जिनि कल रखी धारि ॥2॥148॥

13. अगी पाला कि करे सूरज केही राति

अगी पाला कि करे सूरज केही राति ॥
चंद अनेरा कि करे पउण पाणी किआ जाति ॥
धरती चीजी कि करे जिसु विचि सभु किछु होइ ॥
नानक ता पति जाणीऐ जा पति रखै सोइ ॥2॥150॥

14. दीखिआ आखि बुझाइआ सिफती सचि समेउ

दीखिआ आखि बुझाइआ सिफती सचि समेउ ॥
तिन कउ किआ उपदेसीऐ जिन गुरु नानक देउ ॥1॥150॥

15. जे सउ चंदा उगवहि सूरज चड़हि हजार

जे सउ चंदा उगवहि सूरज चड़हि हजार ॥
एते चानण होदिआं गुर बिनु घोर अंधार ॥2॥463॥

16. इहु जगु सचै की है कोठड़ी सचे का विचि वासु

इहु जगु सचै की है कोठड़ी सचे का विचि वासु ॥
इकन्हा हुकमि समाइ लए इकन्हा हुकमे करे विणासु ॥
इकन्हा भाणै कढि लए इकन्हा माइआ विचि निवासु ॥
एव भि आखि न जापई जि किसै आणे रासि ॥
नानक गुरमुखि जाणीऐ जा कउ आपि करे परगासु ॥3॥463॥

17. हउमै एहा जाति है हउमै करम कमाहि

हउमै एहा जाति है हउमै करम कमाहि ॥
हउमै एई बंधना फिरि फिरि जोनी पाहि ॥
हउमै किथहु ऊपजै कितु संजमि इह जाइ ॥
हउमै एहो हुकमु है पइऐ किरति फिराहि ॥
हउमै दीरघ रोगु है दारू भी इसु माहि ॥
किरपा करे जे आपणी ता गुर का सबदु कमाहि ॥
नानकु कहै सुणहु जनहु इतु संजमि दुख जाहि ॥2॥466॥

18. जोग सबदं गिआन सबदं बेद सबदं ब्राहमणह

जोग सबदं गिआन सबदं बेद सबदं ब्राहमणह ॥
खत्री सबदं सूर सबदं सूद्र सबदं परा क्रितह ॥
सरब सबदं एक सबदं जे को जाणै भेउ ॥
नानकु ता का दासु है सोई निरंजन देउ ॥3॥469॥

19. एक क्रिसनं सरब देवा देव देवा त आतमा

एक क्रिसनं सरब देवा देव देवा त आतमा ॥
आतमा बासुदेवस्यि जे को जाणै भेउ ॥
नानकु ता का दासु है सोई निरंजन देउ ॥4॥469॥

20. एह किनेही आसकी दूजै लगै जाइ

एह किनेही आसकी दूजै लगै जाइ ॥
नानक आसकु कांढीऐ सद ही रहै समाइ ॥
चंगै चंगा करि मंने मंदै मंदा होइ ॥
आसकु एहु न आखीऐ जि लेखै वरतै सोइ ॥1॥474॥

21. सलामु जबाबु दोवै करे मुंढहु घुथा जाइ

सलामु जबाबु दोवै करे मुंढहु घुथा जाइ ॥
नानक दोवै कूड़ीआ थाइ न काई पाइ ॥2॥474॥

22. चाकरु लगै चाकरी नाले गारबु वादु

चाकरु लगै चाकरी नाले गारबु वादु ॥
गला करे घणेरीआ खसम न पाए सादु ॥
आपु गवाइ सेवा करे ता किछु पाए मानु ॥
नानक जिस नो लगा तिसु मिलै लगा सो परवानु ॥1॥474॥

23. जो जीइ होइ सु उगवै मुह का कहिआ वाउ

जो जीइ होइ सु उगवै मुह का कहिआ वाउ ॥
बीजे बिखु मंगै अम्रितु वेखहु एहु निआउ ॥2॥474॥

24. नालि इआणे दोसती कदे न आवै रासि

नालि इआणे दोसती कदे न आवै रासि ॥
जेहा जाणै तेहो वरतै वेखहु को निरजासि ॥
वसतू अंदरि वसतु समावै दूजी होवै पासि ॥
साहिब सेती हुकमु न चलै कही बणै अरदासि ॥
कूड़ि कमाणै कूड़ो होवै नानक सिफति विगासि ॥3॥474॥

25. नालि इआणे दोसती वडारू सिउ नेहु

नालि इआणे दोसती वडारू सिउ नेहु ॥
पाणी अंदरि लीक जिउ तिस दा थाउ न थेहु ॥4॥474॥

26. होइ इआणा करे कमु आणि न सकै रासि

होइ इआणा करे कमु आणि न सकै रासि ॥
जे इक अध चंगी करे दूजी भी वेरासि ॥5॥474॥

27. एह किनेही दाति आपस ते जो पाईऐ ॥

एह किनेही दाति आपस ते जो पाईऐ ॥
नानक सा करमाति साहिब तुठै जो मिलै ॥1॥475॥

28. एह किनेही चाकरी जितु भउ खसम न जाइ

एह किनेही चाकरी जितु भउ खसम न जाइ ॥
नानक सेवकु काढीऐ जि सेती खसम समाइ ॥2॥475॥

29. आपे साजे करे आपि जाई भि रखै आपि

आपे साजे करे आपि जाई भि रखै आपि ॥
तिसु विचि जंत उपाइ कै देखै थापि उथापि ॥
किस नो कहीऐ नानका सभु किछु आपे आपि ॥2॥475॥

30. नकि नथ खसम हथ किरतु धके दे

नकि नथ खसम हथ किरतु धके दे ॥
जहा दाणे तहां खाणे नानका सचु हे ॥2॥653॥

31. जिनी चलणु जाणिआ से किउ करहि विथार

जिनी चलणु जाणिआ से किउ करहि विथार ॥
चलण सार न जाणनी काज सवारणहार ॥1॥787॥

32. राति कारणि धनु संचीऐ भलके चलणु होइ

राति कारणि धनु संचीऐ भलके चलणु होइ ॥
नानक नालि न चलई फिरि पछुतावा होइ ॥2॥787॥

33. बधा चटी जो भरे ना गुणु ना उपकारु

बधा चटी जो भरे ना गुणु ना उपकारु ॥
सेती खुसी सवारीऐ नानक कारजु सारु ॥3॥787॥

34. मनहठि तरफ न जिपई जे बहुता घाले

मनहठि तरफ न जिपई जे बहुता घाले ॥
तरफ जिणै सत भाउ दे जन नानक सबदु वीचारे ॥4॥787॥

35. जिना भउ तिन्ह नाहि भउ मुचु भउ निभविआह

जिना भउ तिन्ह नाहि भउ मुचु भउ निभविआह ॥
नानक एहु पटंतरा तितु दीबाणि गइआह ॥1॥788॥

36. तुरदे कउ तुरदा मिलै उडते कउ उडता

तुरदे कउ तुरदा मिलै उडते कउ उडता ॥
जीवते कउ जीवता मिलै मूए कउ मूआ ॥
नानक सो सालाहीऐ जिनि कारणु कीआ ॥2॥788॥

37. नानक तिना बसंतु है जिन्ह घरि वसिआ कंतु

नानक तिना बसंतु है जिन्ह घरि वसिआ कंतु ॥
जिन के कंत दिसापुरी से अहिनिसि फिरहि जलंत ॥2॥791॥

38. पहिल बसंतै आगमनि तिस का करहु बीचारु

पहिल बसंतै आगमनि तिस का करहु बीचारु ॥
नानक सो सालाहीऐ जि सभसै दे आधारु ॥2॥791॥

39. मिलिऐ मिलिआ ना मिलै मिलै मिलिआ जे होइ

मिलिऐ मिलिआ ना मिलै मिलै मिलिआ जे होइ ॥
अंतर आतमै जो मिलै मिलिआ कहीऐ सोइ ॥3॥791॥

40. किस ही कोई कोइ मंञु निमाणी इकु तू

किस ही कोई कोइ मंञु निमाणी इकु तू ॥
किउ न मरीजै रोइ जा लगु चिति न आवही ॥1॥791॥

41. जां सुखु ता सहु राविओ दुखि भी सम्हालिओइ

जां सुखु ता सहु राविओ दुखि भी सम्हालिओइ ॥
नानकु कहै सिआणीए इउ कंत मिलावा होइ ॥2॥792॥

42. जपु तपु सभु किछु मंनिऐ अवरि कारा सभि बादि

जपु तपु सभु किछु मंनिऐ अवरि कारा सभि बादि ॥
नानक मंनिआ मंनीऐ बुझीऐ गुर परसादि ॥2॥954॥

43. नानक अंधा होइ कै रतना परखण जाइ

नानक अंधा होइ कै रतना परखण जाइ ॥
रतना सार न जाणई आवै आपु लखाइ ॥1॥954॥

44. रतना केरी गुथली रतनी खोली आइ

रतना केरी गुथली रतनी खोली आइ ॥
वखर तै वणजारिआ दुहा रही समाइ ॥
जिन गुणु पलै नानका माणक वणजहि सेइ ॥
रतना सार न जाणनी अंधे वतहि लोइ ॥2॥954॥

45. अंधे कै राहि दसिऐ अंधा होइ सु जाइ

अंधे कै राहि दसिऐ अंधा होइ सु जाइ ॥
होइ सुजाखा नानका सो किउ उझड़ि पाइ ॥
अंधे एहि न आखीअनि जिन मुखि लोइण नाहि ॥
अंधे सेई नानका खसमहु घुथे जाहि ॥1॥954॥

46. साहिबि अंधा जो कीआ करे सुजाखा होइ

साहिबि अंधा जो कीआ करे सुजाखा होइ ॥
जेहा जाणै तेहो वरतै जे सउ आखै कोइ ॥
जिथै सु वसतु न जापई आपे वरतउ जाणि ॥
नानक गाहकु किउ लए सकै न वसतु पछाणि ॥2॥954॥

47. सो किउ अंधा आखीऐ जि हुकमहु अंधा होइ

सो किउ अंधा आखीऐ जि हुकमहु अंधा होइ ॥
नानक हुकमु न बुझई अंधा कहीऐ सोइ ॥3॥954॥

48. नानक चिंता मति करहु चिंता तिस ही हेइ

नानक चिंता मति करहु चिंता तिस ही हेइ ॥
जल महि जंत उपाइअनु तिना भि रोजी देइ ॥
ओथै हटु न चलई ना को किरस करेइ ॥
सउदा मूलि न होवई ना को लए न देइ ॥
जीआ का आहारु जीअ खाणा एहु करेइ ॥
विचि उपाए साइरा तिना भि सार करेइ ॥
नानक चिंता मत करहु चिंता तिस ही हेइ ॥1॥955॥

49. आपे जाणै करे आपि आपे आणै रासि

आपे जाणै करे आपि आपे आणै रासि ॥
तिसै अगै नानका खलिइ कीचै अरदासि ॥1॥1093॥

50. गुरु कुंजी पाहू निवलु मनु कोठा तनु छति

गुरु कुंजी पाहू निवलु मनु कोठा तनु छति ॥
नानक गुर बिनु मन का ताकु न उघड़ै अवर न कुंजी हथि ॥1॥1237॥

51. आपि उपाए नानका आपे रखै वेक

आपि उपाए नानका आपे रखै वेक ॥
मंदा किस नो आखीऐ जां सभना साहिबु एकु ॥
सभना साहिबु एकु है वेखै धंधै लाइ ॥
किसै थोड़ा किसै अगला खाली कोई नाहि ॥
आवहि नंगे जाहि नंगे विचे करहि विथार ॥
नानक हुकमु न जाणीऐ अगै काई कार ॥1॥1238॥

52. साह चले वणजारिआ लिखिआ देवै नालि

साह चले वणजारिआ लिखिआ देवै नालि ॥
लिखे उपरि हुकमु होइ लईऐ वसतु सम्हालि ॥
वसतु लई वणजारई वखरु बधा पाइ ॥
केई लाहा लै चले इकि चले मूलु गवाइ ॥
थोड़ा किनै न मंगिओ किसु कहीऐ साबासि ॥
नदरि तिना कउ नानका जि साबतु लाए रासि ॥1॥1238॥

53. जिन वडिआई तेरे नाम की ते रते मन माहि

जिन वडिआई तेरे नाम की ते रते मन माहि ॥
नानक अम्रितु एकु है दूजा अम्रितु नाहि ॥
नानक अम्रितु मनै माहि पाईऐ गुर परसादि ॥
तिन्ही पीता रंग सिउ जिन्ह कउ लिखिआ आदि ॥1॥1238॥

54. कीता किआ सालाहीऐ करे सोइ सालाहि

कीता किआ सालाहीऐ करे सोइ सालाहि ॥
नानक एकी बाहरा दूजा दाता नाहि ॥
करता सो सालाहीऐ जिनि कीता आकारु ॥
दाता सो सालाहीऐ जि सभसै दे आधारु ॥
नानक आपि सदीव है पूरा जिसु भंडारु ॥
वडा करि सालाहीऐ अंतु न पारावारु ॥2॥1239॥

55. तिसु सिउ कैसा बोलणा जि आपे जाणै जाणु

तिसु सिउ कैसा बोलणा जि आपे जाणै जाणु ॥
चीरी जा की ना फिरै साहिबु सो परवाणु ॥
चीरी जिस की चलणा मीर मलक सलार ॥
जो तिसु भावै नानका साई भली कार ॥
जिन्हा चीरी चलणा हथि तिन्हा किछु नाहि ॥
साहिब का फुरमाणु होइ उठी करलै पाहि ॥
जेहा चीरी लिखिआ तेहा हुकमु कमाहि ॥
घले आवहि नानका सदे उठी जाहि ॥1॥1239॥

56. सिफति जिना कउ बखसीऐ सेई पोतेदार

सिफति जिना कउ बखसीऐ सेई पोतेदार ॥
कुंजी जिन कउ दितीआ तिन्हा मिले भंडार ॥
जह भंडारी हू गुण निकलहि ते कीअहि परवाणु ॥
नदरि तिन्हा कउ नानका नामु जिन्हा नीसाणु ॥2॥1239॥

57. कथा कहाणी बेदीं आणी पापु पुंनु बीचारु

कथा कहाणी बेदीं आणी पापु पुंनु बीचारु ॥
दे दे लैणा लै लै देणा नरकि सुरगि अवतार ॥
उतम मधिम जातीं जिनसी भरमि भवै संसारु ॥
अम्रित बाणी ततु वखाणी गिआन धिआन विचि आई ॥
गुरमुखि आखी गुरमुखि जाती सुरतीं करमि धिआई ॥
हुकमु साजि हुकमै विचि रखै हुकमै अंदरि वेखै ॥
नानक अगहु हउमै तुटै तां को लिखीऐ लेखै ॥1॥1243॥

58. जैसा करै कहावै तैसा ऐसी बनी जरूरति

जैसा करै कहावै तैसा ऐसी बनी जरूरति ॥
होवहि लिंङ झिंङ नह होवहि ऐसी कहीऐ सूरति ॥
जो ओसु इछे सो फलु पाए तां नानक कहीऐ मूरति ॥2॥1245॥

59. वैदा वैदु सुवैदु तू पहिलां रोगु पछाणु

वैदा वैदु सुवैदु तू पहिलां रोगु पछाणु ॥
ऐसा दारू लोड़ि लहु जितु वंञै रोगा घाणि ॥
जितु दारू रोग उठिअहि तनि सुखु वसै आइ ॥
रोगु गवाइहि आपणा त नानक वैदु सदाइ ॥2॥1279॥

60. सावणु आइआ हे सखी कंतै चिति करेहु

सावणु आइआ हे सखी कंतै चिति करेहु ॥
नानक झूरि मरहि दोहागणी जिन्ह अवरी लागा नेहु ॥1॥1280॥

61. सावणु आइआ हे सखी जलहरु बरसनहारु

सावणु आइआ हे सखी जलहरु बरसनहारु ॥
नानक सुखि सवनु सोहागणी जिन्ह सह नालि पिआरु ॥2॥1280॥

62. नाउ फकीरै पातिसाहु मूरख पंडितु नाउ

नाउ फकीरै पातिसाहु मूरख पंडितु नाउ ॥
अंधे का नाउ पारखू एवै करे गुआउ ॥
इलति का नाउ चउधरी कूड़ी पूरे थाउ ॥
नानक गुरमुखि जाणीऐ कलि का एहु निआउ ॥1॥1288॥

63. नानक दुनीआ कीआं वडिआईआं अगी सेती जालि

नानक दुनीआ कीआं वडिआईआं अगी सेती जालि ॥
एनी जलीईं नामु विसारिआ इक न चलीआ नालि ॥2॥1290॥