Subramania Bharati
सुब्रह्मण्य भारती

सुब्रह्मण्य भारती (11 दिसम्बर, 1882-11 सितम्बर, 1921) भारत के महान् कवियों में से थे, जिन्होंने तमिल भाषा में काव्य रचनाएँ कीं। इन्हें महाकवि भरतियार के नाम से भी जाना जाता है। वह महान् कवि, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, पत्रकार तथा उत्तर भारत व दक्षिण भारत के मध्य एकता के सेतु समान थे । आपकी देश प्रेम की कविताएँ इतनी श्रेष्ठ हैं कि आपको भारती उपनाम से ही पुकारा जाने लगा। आप सक्रिय रूप से 'स्वतंत्रता आंदोलन' में शामिल रहे, जबकि उनकी रचनाओं से प्रेरित होकर दक्षिण भारत में आम लोग आज़ादी की लड़ाई में कूद पड़े। आपकी पकड़ हिंदी, बंगाली, संस्कृत, अंग्रेज़ी आदि कई भाषाओं पर थी, पर तमिल उनके लिए सबसे प्रिय और मीठी भाषा थी। उनका 'गद्य' और 'पद्य' दोनों विधाओं पर समान अधिकार था।

सुब्रह्मण्य भारती की प्रसिद्ध कविताएँ

  • यह है भारत देश हमारा
  • जय भारत
  • सब शत्रुभाव मिट जाएँगे
  • चलो गाएँ हम
  • वन्देमातरम
  • रे विदेशियो! भेद न हममें‌
  • निर्भय
  • वंदे मातरम्‌
  • नमन करें इस देश को
  • भारत सर्वोत्कृष्ट देश है
  • जयगान
  • आज़ादी का एक 'पल्लु'
  • जा, जर्जरित भारत, जा ! आ, नवभारत, तू आ !
  • कन्नम्मा, मेरी प्रिया-1
  • भारतमाता
  • भारत माँ की गुरुता
  • उन्मादिनी माँ
  • भारतजननी री ! जाग री !
  • भारत माँ के पवित्र दशांक
  • भारतमाता की नवरत्नमाला
  • भारत माँ की ध्वजा
  • वर्तमान भारतीय
  • जानेवाला भारत : आनेवाला भारत
  • भारत समुदाय
  • स्वतंत्रता की चाहत
  • स्वतंत्रता का पौधा
  • स्वतंत्रता की प्यास
  • स्वतंत्रता देवी की स्तुति
  • स्वतंत्रता
  • नाचेंगे हम
  • तानाशाह ज़ार का पतन
  • गन्ने के खेत में
  • बेल्जियम की स्तुति