Faiz Ahmed Faiz
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (१९११ -१९८४) का जन्म सियालकोट के नज़दीक काला कादर नाम के गाँव में हुआ । उन्हों ने प्राथमिक पढ़ाई मस्जिद के मौलवी से प्राप्त की। बाद में उन्होंने ऐम.ए. अंग्रेज़ी और अरबी किया । १९३५ में वह अमृतसर के ऐम.ए.ओ. कालेज में अंग्रेज़ी के लैक्चरर नियुक्त हुए। उन्होंने १९५० और १९६० के दशकों में पाकिस्तान में साम्यवाद के फैलाव के लिए काम किया।उनको १९५१ और १९५८ में गरिफ़तार भी किया गया। फ़ैज़ ने रोमांसवाद के द्वारा क्रांतिकारी विचार दिए।वह मज़लूमों की आवाज़ बन कर उभरे।उनकी कविता मन और दिमाग़ दोनों पर प्रभाव डालती है और पाठक को सोचने के लिए मजबूर करती है। वह दर्द की बात करते हुए भी आशावादी बने रहते हैं।उन की प्रमुख रचनायें हैं: नक़्शे-फ़रियादी, दस्ते-सबा, ज़िन्दां-नामा, दस्ते-तहे-संग, सरे-वादी-ए-सीना, शामे-शहरे-यारां, मेरे दिल मेरे मुसाफिर और ग़ुब्बार-ए-अय्याम।

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की संपूर्ण ग़ज़लें और नज़्में

  • अगस्त १९५५-शहर में चाक-गरेबाँ हुए नापैद अबके
  • अनिल बिस्वास के लिए
  • अफ़्रीका कम बैक
  • अबके बरस दस्तूरे-सितम में क्या-क्या बाब ईज़ाद हुए
  • अब बज़्मे-सुख़न सुहबते-सोख़्तगाँ है
  • अब वही हर्फ़े-जुनूं सबकी ज़बां ठहरी है
  • अश्क आबाद की इक शाम
  • अंजाम
  • आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
  • आख़िरी ख़त
  • आज इक हरफ़ को फिर
  • आज की रात
  • आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो
  • आज यूं मौज-दर-मौज ग़म थम गया
  • आज शब कोई नहीं है
  • आपकी याद आती रही रात-भर
  • आवाज़ें
  • इक़बाल
  • इकबाल-ज़माना था कि हर फ़रद इंतज़ारे-मौत करता था
  • इक गीत देश-छड्ड के जान वाल्यां लई-वतने दियां ठंडियां छाईं
  • इक तराना पंजाबी किसान दे लई-उट्ठ उतांह नूं जट्टा
  • इज्ज़े अहले-सितम की बात करो
  • इधर न देखो
  • इश्क अपने मुजरिमों को पा-ब-जौलां ले चला
  • इश्क़ मिन्नतकशे-क़रार नहीं
  • इंक़लाब-ए-रूस
  • इंतज़ार
  • इंतिसाब
  • इंतेहा-ए-कार
  • ईरानी तुलबा के नाम
  • उमीदे-सहर की बात सुनो
  • एक गीत दर्द के नाम
  • एक तराना मुजाहदीने-फ़लिस्तीन के लिये
  • एक नग़मा करबला-ए-बेरूत के लिये
  • एक मंज़र
  • एक रहगुज़र पर
  • एक शहर आशोब का आग़ाज़
  • ऐ दिले-बेताब, ठहर
  • ऐ रौशनियों के शहर-सब्ज़ा-सब्ज़ा सूख रही है
  • ऐ वतन, ऐ वतन
  • ऐ शाम मेहरबां हो
  • ऐ हबीबे-अम्बरदस्त
  • और फिर एक दिन यूँ ख़िज़ाँ आ गई
  • कई बार इसका दामन भर दिया हुस्ने-दो-आलम से
  • कब ठहरेगा दर्द-ए-दिल, कब रात बसर होगी
  • कब तक दिल की ख़ैर मनाएँ, कब तक रह दिखलाओगे
  • कब याद में तेरा साथ नहीं, कब हात में तेरा हात नहीं
  • कभी-कभी याद में उभरते हैं, नक़्शे-माज़ी मिटे-मिटे से
  • कव्वाली
  • कहाँ जाओगे
  • कहीं तो कारवाने-दर्द की मंज़िल ठहर जाये
  • किये आरजू से पैमां, जो मआल तक न पहुंचे
  • किस शह्‍र न शोहरा हुआ नादानी-ए-दिल का
  • किस हरफ़ पे तूने गोशा-ए-लब ऐ जाने-जहां ग़म्माज किया
  • किसी गुमाँ पे तवक़्क़ो ज़ियादा रखते हैं
  • कुछ इश्क किया कुछ काम किया
  • कुछ दिन से इंतज़ारे-सवाले-दिगर में है
  • कुछ पहले इन आँखों आगे क्या-क्या न नज़ारा गुज़रे था
  • कुछ मुहतसिबों की ख़ल्बत में, कुछ वाइज़ के घर जाती है
  • कुत्ते
  • कोई आशिक़ किसी महबूबः से
  • कोई आशिक़ किसी महबूबा से
  • क्या करें
  • क़ता-अज्ज रात इक रात दी रात जी के
  • क़र्जे-निगाहे-यार अदा कर चुके हैं हम
  • क़ैदे-तनहाई
  • ख़ुदा वह वक्त न लाये कि सोगवार हो तू
  • ख़ुरशीदे-महशर की लौ
  • ख़ुशा ज़मानते-ग़म
  • ख़्वाब बसेरा
  • ख़्वाबे-परीशाँ
  • गर हिम्मत है तो बिस्मिल्लाह
  • गर्मी-ए-शौक़े-नज़ारा का असर तो देखो
  • गरानी-ए-शबे-हिज्राँ दुचंद क्या करते
  • गांव की सड़क
  • गीत-अब क्या देखें राह तुम्हारी
  • गीत-किधरे ना पैंदियां दस्सां
  • गीत-कोई दीप जलाओ
  • गीत-चलो फिर से मुस्कुराएं
  • गीत-जलने लगीं यादों की चिताएं
  • गीत-पंखी राजा मीठा बोल
  • गीत-मंज़िलें मंज़िलें
  • गीत-सुखी रहे तेरी रात
  • गीत-हम तेरे पास आये
  • गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौबहार चले
  • गो सबको बहम साग़रो-बादः तो नहीं था
  • ग़म न कर, ग़म न कर
  • ग़म-ब-दिल, शुक्र-ब-लब, मस्तो-ग़ज़लख़्वाँ चलिए
  • चन्द रोज़ और मिरी जान
  • चश्मे-मयगूँ ज़रा इधर कर दे
  • चाँद निकले किसी जानिब तेरी ज़ेबाई का
  • जब तेरी समंदर आँखों में
  • जमेगी कैसे बिसाते-याराँ कि शीशा-ओ-जाम बुझ गये हैं
  • जरसे-गुल की सदा
  • जश्न का दिन
  • जिस रोज़ क़ज़ा आएगी
  • जैसे हम-बज़्म हैं फिर यारे-तरहदार से हम
  • जो मेरा तुम्हारा रिश्ता है
  • ज़िन्दाँ की एक शाम
  • ज़िन्दां की एक सुबह
  • टूटी जहां-जहां पे कमन्द
  • ढाका से वापसी पर
  • तनहाई
  • तराना-१
  • तराना-2 (हम देखेंगे)
  • तह-ब-तह दिल की कदूरत
  • तहे-नुज़ूम
  • तिरी उमीद, तिरा इंतज़ार जब से है
  • तीन मंज़र
  • तुझे पुकारा है बेइरादा
  • तुम अपनी करनी कर गुज़रो
  • तुम आए हो न शबे-इन्तिज़ार गुज़री है
  • तुम ये कहते हो अब कोई चारा नहीं
  • तुम ही कहो क्या करना है
  • तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
  • तुम्हारे हुस्न के नाम
  • तेरी सूरत जो दिलनशीं की है
  • तेरे ग़म को जाँ की तलाश थी तेरे जाँ-निसार चले गए
  • तौको-दार का मौसम
  • दर-ए-उमीद के दरयूज़ाग
  • दरबार-ए-वतन में जब इक दिन-तराना
  • दरबार में अब सत्वते-शाही की अलामत
  • दर्द आयेगा दबे पांव
  • दरीचा-गड़ी हैं कितनी सलीबें मिरे दरीचे में
  • दश्ते-ख़िज़ाँ में
  • दस्ते-तहे-संग आमदः
  • दामने-यूसुफ़
  • दिलदार देखना
  • दिल में अब, यूँ तिरे भूले हुए ग़म आते हैं
  • दिले-मन मुसाफ़िरे-मन
  • दुआ
  • दो इश्क
  • दोनों जहान तेरी मोहब्बत मे हार के
  • दो मर्सिए
  • न अब रकीब न नासेह न ग़मगुसार कोई
  • न किसी पे ज़ख़म अयां कोई, न किसी को फ़िकर रफ़ू की है
  • न गवाँओ नावके-नीमकश दिले-रेज़ा-रेज़ा गवां दिया
  • नज्र
  • नज़र-ए-हसरत मोहानी
  • नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं
  • नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
  • नात
  • नासेहम गुफ़त बजुज़ ग़म चे हुनर दारद इश्क
  • निसार मैं तेरी गलियों के ऐ वतन
  • नौहा
  • पास रहो
  • पाँवों से लहू को धो डालो
  • पेरिस
  • प्याम-ए-तजदीद
  • फिर आईना-ए-आलम शायद कि निखर जाये
  • फिर लौटा है ख़ुरशीदे-जहाँताब सफ़र से
  • फिर हरीफ़े-बहार हो बैठे
  • फूल मस्ले गये फ़र्शे-गुलज़ार पर
  • फूल मुर्झा गये हैं सारे
  • फ़रशे-नौमीदीए-दीदार
  • फ़लिसतीन के लिए -१
  • फ़लिसतीन के लिए-२
  • फ़िक्रे-दिलदारी-ए-गुलज़ार करूं या न करूं
  • फ़ैज़ का आख़िरी कलाम-बहुत मिला न मिला ज़िन्दगी से
  • बहार आई
  • बात बस से निकल चली है
  • बा’द अज़ वक़्त
  • बालीं पे कहीं रात ढल रही है
  • बिसाते-रक़्स पे साद शर्क़ो-गरब से सरे शाम
  • बुनियाद कुछ तो हो
  • बेदम हुए बीमार दवा क्यों नही देते
  • बेबसी का कोई दरमाँ नहीं करने देते
  • बोल-बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे
  • ब्लैक आऊट
  • मदह
  • मरगे-सोज़े-मुहब्बत
  • मरसिया-ए-इमाम
  • मंज़र
  • मंज़र
  • मिरी जां अब भी अपना हुस्न फेर दे मुझको
  • मिरे हमदम, मिरे दोस्त
  • मुझसे पहली-सी मुहब्बत मिरे महबूब न मांग
  • मुनीज़ा की सालगिरह
  • मुलाक़ात
  • मेजर इसहाक की याद में
  • मेरी डोली शौह दरिया
  • मेरे दर्द को जो ज़बाँ मिले
  • मेरे देस के नौनिहालों के नाम
  • मेरे नदीम
  • मेरे मिलनेवाले
  • मोरी अरज सुनो
  • मौज़ू-ए-सुख़न
  • यक-ब-यक शोरिशे-फुगाँ की तरह
  • य' किस ख़लिश ने फिर इस दिल में आशियाना किया
  • यह फ़स्ल उमीदों की हमदम
  • यह मौसमे-गुल गर चे तरबख़ेज़ बहुत है
  • यहां से शहर को देखो
  • याद का फिर कोई दरवाज़ा खुला आख़िरे-शब
  • याद-दशते-तनहायी में, ऐ जाने-जहां
  • यादे-ग़ज़ालचश्मां, ज़िक्रे-समनइज़ारां
  • यार अग़ियार हो गए हैं
  • यास
  • यूँ बहार आई है इस बार कि जैसे क़ासिद
  • यूँ सजा चांद कि झलका तिरे अन्दाज़ का रंग
  • ये किस दयार-ए-अदम में
  • ये जफ़ा-ए-ग़म का चारा, वो नजाते-दिल का आलम
  • ये मातम-ए-वक़्त की घड़ी है
  • रब्बा सच्चिआ
  • रहे ख़िज़ां में तलाशे-बहार करते रहे
  • रंग पैराहन का, ख़ुशबू जुल्फ़ लहराने का नाम
  • रंग है दिल का
  • रक़ीब से
  • राज़े-उल्फ़त छुपा के देख लिया
  • रौशन कहीं बहार के इमकां हुए तो हैं-अगस्त, १९५२
  • लहू का सुराग़
  • लंमी रात सी दर्द फ़िराकवाली
  • लायो तो कत्लनामा मिरा
  • लेनिनगराड का गोरिसतान
  • वक़्फ़े-उमीदे-दीदे-यार है दिल
  • वफ़ा-ए-वा'दः नहीं, वा'दः-ए-दिगर भी नहीं
  • वहीं हैं, दिल के क़राइन तमाम कहते हैं
  • वापस लौट आई है बहार
  • वासोख़्त-सच है, हमीं को आपके शिकवे बजा न थे
  • वो अह्दे-ग़म की काहिशहा-ए-बेहासिल को क्या समझे
  • वो बुतों ने डाले हैं वस्वसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया
  • शफ़क़ की राख में जल-बुझ गया सितारः-ए-शाम
  • शरहे-फ़िराक, मदहे-लबे-मुशकबू करें
  • शरहे-बेदर्दी-ए-हालात न होने पाई
  • शह्‍रे-याराँ
  • शाख़ पर ख़ूने-गुल रवाँ है वही
  • शाम
  • शाम-ए-ग़ुरबत
  • शामे-फिराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गयी
  • शायर लोग
  • शाहराह
  • शीशों का मसीहा कोई नहीं
  • शैख साहब से रस्मो-राह न की
  • शोपेन का नग़मा बजता है
  • शोरिशे-ज़ंजीर बिस्मिल्लाह
  • शोरिशे-बरबतो-नै
  • सज्जाद ज़हीर के नाम
  • सफ़रनामा
  • सब क़त्ल होके तेरे मुक़ाबिल से आये हैं
  • सभी कुछ है तेरा दिया हुआ, सभी राहतें सभी कुलफतें
  • सरे-आग़ाज़
  • सरे-मकतल
  • सरे-वादी-ए-सीना
  • सरोद
  • सरोदे-शबाना-1
  • सरोदे-शबाना-2
  • सहल यूं राहे-ज़िन्दगी की है
  • सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन से पहले
  • सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता
  • सिपाही का मरसिया
  • सियासी लीडर के नाम
  • सुब्‍ह की आज जो रंगत है वो पहले तो न थी
  • सुब्‍हे-आज़ादी-(अगसत, '४७)
  • सेहरा
  • सोच-क्यों मेरा दिल शाद नहीं है
  • सोचने दो
  • हज़र करो मिरे तन से
  • हम जो तारीक राहों में मारे गए
  • हम तो मजबूर-ए-वफ़ा हैं
  • हम तो मज़बूर थे इस दिल से कि जिसमें हर दम
  • हमने सब शे’र में सँवारे थे
  • हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है
  • हम परवरिशे-लौहो-क़लम करते रहेंगे-लौहो-क़लम
  • हम मुसाफ़िर यूँ ही मसरूफ़े सफ़र जाएँगे
  • हम लोग
  • हम सादा ही ऐसे थे की यूं ही पज़ीराई
  • हमीं से अपनी नवा हमकलाम होती रही
  • हम्द
  • हर घड़ी अक्से-रुख़े-यार लिए फिरती है
  • हर सम्त परीशाँ तेरी आमद के क़रीने
  • हर हक़ीक़त मजाज़ हो जाए
  • हवसे-मंज़िले-लैला न तुझे है न मुझे
  • हसरते दीद में गुज़राँ है ज़माने कब से
  • हसीना-ए-ख्याल से
  • हार्ट अटैक (रुख़सत)
  • हिजर की राख और विसाल के फूल
  • हिम्मते-इल्तिजा नहीं बाक़ी
  • हुस्न और मौत
  • हुस्न-मरहूने-जोशे-बादः-ए-नाज़
  • हैरां है जबीं आज किधर सजदा रवां है