Sant Meera Bai
संत मीरा बाई
मीरा बाई (१४९८-१५४७) एक संत कवि और गायक थीं ।
उनका नाम भक्ति धारा के मुख्य संत भक्तों में आता है। मीरा का
जन्म राजस्थान के मेरटा शहर नज़दीक गाँव कुड़की में हुआ । बचपन
में मीरा अपने पिता जी की कृष्ण भक्ति से बहुत प्रभावित हुईं ।
उनकी शादी राणा सांगा के बड़े पुत्र भोज राज के साथ हुई । मीरा इस
शादी से ख़ुश नहीं थीं क्योंकि वह कृष्ण को ही अपना सब कुछ मानती
थीं। भोज राज १५२७ में लड़ाई में मारे गए। उसके बाद उसको अपने
ससुराल परिवार में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उनके गुरू
संत रविदास जी थे। उन की रचनायें हैं-बरसी का मायरा, गीत गोविन्द
टीका, राग गोविन्द और राग सोरठ के पद ।
संत मीरा बाई : पदावली
अखयाँ तरशा दरसण प्यासी
अच्छे मीठे फल चाख चाख
अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों
अपणे करम को वै छै दोस
अपनी गरज हो मिटी सावरे
अब कोऊ कछु कहो दिल लागा रे
अब तो निभायाँ सरेगी
अब तो मेरा राम नाम दूसरा न कोई
अब तौ हरी नाम लौ लागी
अब मीरां मान लीजी म्हांरी
अब मैं सरण तिहारी जी मोहि राखौ कृपा निधान
अरज करे छे मीरा रोकडी
अरे राणा पहले क्यों न बरजी
आई ती ते भिस्ती जनी जगत देखके रोई
आओ मनमोहना जी जोऊं थांरी बाट
आओ सहेल्हां रली करां
आज अनारी ले गयो सारी
आज मारे साधुजननो संगरे राणा
आज मेरेओ भाग जागो
आजु शुण्या हरी आवाँ री
आण मिल्यो अनुरागी गिरधर आण मिल्यो अनुरागी
आतुर थई छुं सुख जोवांने
आयी देखत मनमोहनकू
आली म्हांने लागे वृन्दावन नीको
आली रे मेरे नैणा बाण पड़ी
आली, सांवरे की दृष्टि मानो
आवत मोरी गलियन में गिरधारी
आव सजनियाँ बाट मैं जोऊँ
आवाँ मन मोहणा जी जोवाँ थारी बाट
आवो मनमोहन जी मीठो थारो बोल
आसा प्रभु जाण, न दीजै हो
इक अरज सुनो मोरी
उर में णाख चोर गड़े
ऐसी लगन लगाइ कहां तू जासी
कठण थयां रे माधव मथुरां जाई
कमल दल लीचमआं थे नाथ्यां काल भुजंग
करम गत टाराँ णाही टराँ
कृष्ण करो जजमान
कृष्ण मंदिरमों मिराबाई नाचे
करुणा सुणो स्याम मेरी, मैं तो होय रही चेरी तेरी
कहाँ कहाँ जाऊं तेरे साथ
कहां गयोरे पेलो मुरलीवाळो
कागळ कोण लेई जायरे
काना चालो मारा घेर कामछे
काना तोरी घोंगरीया पहरी
कान्हा कानरीया पेहरीरे
कान्हा बनसरी बजाय गिरधारी
कान्हो काहेकूं मारो मोकूं कांकरी
कायकूं देह धरी भजन बिन कोयकु देह धरी
कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे
कालोकी रेन बिहारी
काहू की मै बरजी नाहीं रहूँ
काँई म्हारो जमण बारम्बर
किण सँग खेलूँ होली
किन्ने देखा कन्हया प्यारा
कीत गयो जादु करके नो पीया
कीसनजी नहीं कंसन घर जावो
कुण बांचे पाती बिना प्रभु कुण बांचे पाती
कुबजा ने जादु डारा
कुंजबनमों गोपाल राधे
कैसी जादू डारी
कैसे जिऊँ री माई
कोई कछु कहो रे रंग लाग्यो
कोई कहियौ रे प्रभु आवन की
कोईकी भोरी बोलो मइंडो मेरो लूंटे
कोई दिन याद करो रमता राम अतीत
कोई देखोरे मैया
कोई स्याम मनोहर ल्योरी
को विरहिणी को दुःख जाणै हो
कौन भरे जल जमुना
क्या करूं मैं बनमें गई घर होती
खबर मोरी लेजारे बंदा जावत हो तुम उनदेस
गली तो चारों बंद हुई मैं हरि से मिलूं कैसे जाय
गांजा पीनेवाला जन्मको लहरीरे
गिरधर रूसणुं जी कौन गुनाह
गिरधारी शरणां थारी आयाँ
गोकला के बासी भले ही आए
गोपाल राधे कृष्ण गोविंद
गोबिन्द कबहुं मिलै पिया मेरा
गोविन्द गाढ़ा छौजी, दीलरा मिंत
गोविन्द सूँ प्रीत करत तब ही क्यूँ न हटकी
गोहनें गुपाल फिरूँ
घर आवो जी सजन मिठ बोला
घर आंगण न सुहावै
घड़ी चेण णा आवड़ां
चरन रज महिमा मैं जानी
चालने सखी दही बेचवा जइंये
चालां पण या जमणा कां तीर
चालां वाही देस प्रीतम
चालो अगमके देस कास देखत डरै
चालो ढाकोरमा जइ वसिये
चालो मन गंगा जमुना तीर
चालो सखी मारो देखाडूं
छोड़ मत जाज्यो जी महाराज
छैल बिराणे लाख को हे अपणे काज न होइ
छोडो चुनरया छोडो मनमोहन
जगमाँ जीवणा थोड़ा कुणे लयां भवसार
जब ते मोहि नन्दनन्दन दृष्टि पड्यो माई
जमुनाजीको तीर दधी बेचन जावूं
जमुनामों कैशी जाऊं मोरे सैया
जल कैशी भरुं जमुना भयेरी
जल भरन कैशी जाऊंरे
जशोदा मैया मै नही दधी खायो
जसवदा मैय्यां नित सतावे कनैय्यां
जाके मथुरा कान्हांनें घागर फोरी
जागो बंसी वारे जागो मोरे ललन
जागो म्हांरा जगपतिरायक
जाणां रे मोहणा, जाणां मारी प्रीती
जाण्याँ णा प्रभु मिलण बिध क्यां होय
जान्यो मैं राजको बेहेवार उधव जी
जावादे जावादे जोगी किसका मीत
जावो हरि निरमोहिड़ा
जोगिया जी आज्यो जी इण देस
जोगिया जी निसदिन जोऊं बाट
जोगिया ने कहज्यो जी आदेस
जोगियारी प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूल
जोगिया से प्रीति कियां दुख, होई
जोगी मत जा मत मत जा
जोगी मेरो सांवळा कांहीं गवोरी
जोगी म्हाँने, दरस दियाँ सुख होइ
जो तुम तोड़ो पियो मैं नही तोड़ूँ
जोसीड़ा ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम
ज्या संग मेरा न्याहा लगाया
झटक्यो मेरो चीर मुरारी
झूलत राधा संग गिरिधर
डारी गयो मनमोहन पासी
णातो साँवरो री म्हासूँ
णेणाँ लोभाँ अटकां शवयाँणा फिर आय
तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर
तुम आवो जी प्रीतम मेरे
तुम्हरे कारण सब छोड्या
तुम कीं करो या हूं ज्यानी
तुम बिन मेरी कौन खबर ले
तुम लाल नंद सदाके कपटी
तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी
तेरे सावरे मुख पर वारी
तेरो कोई नहिं रोकणहार मगन होइ मीरा चली
तेरो मरम न पायौ रे जोगी
तोती मैना राधे कृष्ण बोल
तोरी सावरी सुरत नंदलालाजी
तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे नागर नंद कुमार
थारी छब प्यारी लागै राज
थारो रूप देख्याँ अटकी
थारो विरुद्ध घेटे कैसी भाईरे
थाँणो काँई काँई बोल सुणावा
थें जीम्या गिरधरलाल
थें तो पलक उघाड़ो दीनानाथ
थें बिण म्हारे कोण खबर ले
थें मत बरजां माइड़ी
थें म्हाँरे घरआवो जी प्रीतम प्यारा
दरस बिन दूखण लागे नैन
दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी
दीजो हो चुनरिया हमारी
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी
देखत राम हंसे सुदामा कूं देखत राम हंसे
देखाँ माई हरि, मण काठ कियाँ
देखोरे देखो जसवदा मैय्या तेरा लालना
धूतारा जोगी एकरसूँ हँसि बोल
नन्द को बिहारी म्हाँरे हियड़े बस्यो छै
नंदननंदन मण भायां णभ छायां
नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दा
नहिं एसो जनम बारंबार
नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो
नही जाऊंरे जमुना पाणीडा
नही तोरी बलजोरी राधे
नागर नंदकुमार, लाग्यो थारो नेह
नातो नामको जी म्हांसूं तनक न तोड्यो जाय
नाथ तुम जानतहो सब घटकी
नामोकी बलहारी गजगणिका तारी
नाव किनारे लगाव प्रभुजी
नींद न आवे बिरह सतावे
नींद नहीं आवे जी सारी रात
नींदड़ी आवाँ णा साराँ रात
नैना निपट बंकट छबि अटके
नैना लोभी रे बहुरि सके नहिं आय
पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे
पतियाँने कूण पतीजै
पतियाँ मैं कैसे लिखूँ
पपइया म्हारो कबह रो बैर चितारयाँ
पपइया रे, पिव की वाणि न बोल
परम सनेही राम की नीति
प्रगट भयो भगवान
प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े
प्रभुजी थे कहाँ गया, नेहड़ो लगाय/प्रभु कब रे मिलोगे
प्रभुजी मैं अरज करुँ छूं म्हारो बेड़ो लगाज्यो पार
प्रभु तुम कैसे दीनदयाळ
प्रभु बिनि ना सरै माई
प्रभु सों मिलन कैसे होय
प्रेमनी प्रेमनी प्रेमनी रे
पलक न लागी मेरी स्याम बिना
पानी में मीन प्यासी
पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो
पिय बिन सूनो छै जी म्हारो देस
पिया अब घर आज्यो मेरे
पिया इतनी बिनती सुनो मोरी
पिया कूँ बता दे मेरे
पिया थारो नाम लुभाणी जी
पिया बिण रह्यां न जायां
पिया मोहिं दरसण दीजै, हो
पिया म्हाँरे नैणा आगां रहज्यो जी
पिहु की बोलि न बोल पपैय्या
प्यारे दरसन दीज्यो आय
फरका फरका जो बाजी हरी की मुरलीया
फागुन के दिन चार होली खेल मना रे
फिर बाजे बरनै हरीकी मुरलीया
फूल मंगाऊं हार बनाऊं
बन जाऊं चरणकी दासी रे
बन्सी तूं कवन गुमान भरी
बरजी मैं काहूकी नाहिं रहूं
बरसै बदरिया सावन की
ब्रजलीला लख जण सुख पावाँ
बसो मोरे नैनन में नंदलाल
बड़े घर ताली लागी रे
बंसीवारा आज्यो म्हारे देस
बागनमों नंदलाल चलोरी
बादल देख डरी/बादल देखाँ झरी
बादला रे थें जल भर्या आज्यो
बारी होके जाने बंदना
बालपनमों बैरागन करी गयोरे
बाला मैं बैरागण हूंगी
बासुरी सुनूंगी भई हों बाबरी सुनके बांसरी
भज मन शंकर भोलानाथ
भजु मन चरन कँवल अविनासी
भीजे म्हांरो दांवत चीर
भीजो मोरी नवरंग चुनरी
भीड़ छाँडि बीर वैद मेरे पीर न्यारी है
भुवण पति थें घरि आज्याँ जी
भोलानाथ दिंगबर ये दुःख मेरा हरोरे
मत डारो पिचकारी
मतवारो बादर आए रे
मथुराके कान मोही मोही मोही
मन अटकी मेरे दिल अटकी
मदन गोपाल नंदजीको लाल
मन केरो जेवो चंद्र छे
मन माने जब तार प्रभुजी
मनमोहन गिरिवरधारी
मन मोहन दिलका प्यारा
मन रे परसि हरिके चरण
मनुवा बाबारे सुमरले मन सिताराम
माई तेरो काना कोन गुनकारो
माई मेरो मोहनमें मन हारूं
माई मेरो मोहने मन हर्यो
माई म्हाणो सुपणा मां परण्यां दीनानाथ
माई म्हारी हरिहूँ न बूझयाँ बात
माई म्हां गोविन्द, गुण गास्यां
माई री मैं तो लियो गोविंदो मोल
मागत माखन रोटी
मिलता जाज्यो हो जी गुमानी
मीरा मगन भई हरि के गुण गाय
मीरां लागो रंग हरी
मुखडानी माया लागी रे
मुझ अबला ने मोटी नीरांत थई रे
मुरलिया बाजा जमणा तीर
मेरी कानाँ सुणज्यो जी करूणा निधान
मेरी गेंद चुराई
मेरी लाज तुम रख भैया
मेरे घर आवौ सुन्दर स्याम
मेरे तो आज साचे राखे
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
मेरे प्रियतम प्यारे राम कूँ लिख भेजूँ रे पाती
मेरे मन राम वासी
मेरो बेड़ो लगाज्यो पार
मेरो मनमोहना, आयो नहीं सखी री
मेरो मन राम-हि-राम रटै
मेहा बरसवो करे रै
में जाणयी नहीं प्रभु को मिलन केसे होय री
मैया मोकू खिजावत बलजोर
मैं गिरधर के घर जाऊँ
मैं तो तेरी सरण परी रे रामा
मैं तो तेरे दावन लागीवे गोपाळ
मैं तो तेरे भजन भरोसे अबिनासी
मैं तो तोरे चरण लगी गोपाल
मैं तो सांवरे के रंग राची/लोक लाज तजि नाची
मैंने सारा जंगल ढूँढा रे
मैं बिरहणि बैठी जागूं
मोती मूँगे उतार बनमाला पोई
मोरी आंगनमों मुरली बजावेरे
मोरे लय लगी गोपालसे
मोरी लागी लटक गुरु चरणनकी
मोहन आवनकी साई किजोरे
मोहि लागी लगन गुरुचरणन की
म्हाणो चाकर राखां जी
म्हा मोहणरो रूप लुभाणी
म्हारे आजोय जी रामाँ
म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा/तुम बिन नैण दुखारा
म्हारे घर आवो स्याम, गोठड़ी कराइयै
म्हारे घर चालोजी जशोमती लालनारे
म्हारे घर रमतो ही जोगीय तूं आँव
म्हारे डेरे आज्यो जी महाराज
म्हारे नैणां आगे रहाजो जी, स्याम गोविन्द
म्हारो ओलगिया घर आज्यो जी
म्हारो प्रणाम बांकेबिहारी को
म्हारो मण हर लीण्या रणछोड़
म्हा लागाँ लगण सिरि चरणा री
म्हाँ गिरधर आगाँ नाच्याँ री
म्हां गिरधर रंग राती
म्हांणे क्या तरसावाँ
म्हांरी बात जगत सूं छानी
म्हाँरे घर होता आज्यो महाराज
म्हांरो जणम जणम रो साथी
म्हाँरो सुध ज्यूँ जानो लीजो जी
म्हाँ सुण्यां हरि अधम उधारण
यहि बिधि भक्ति कैसे होय
या तो रंग धत्तां लग्यो ए माय
या ब्रज में कछु देख्यो री टोना
या मोहन के रूप लुभानी
ये ब्रिजराजकूं अर्ज मेरी
रटता क्यौं नहीं रे हरिनाम
रमईया बिन यो जिवडो दुख पावै
रमईया मेरे तोही सूं लागी नेह
राजा थारे कुबजाही मन मानी
राणा जी अब न रहूंगी तोर हटकी
राणाजी थें क्यांने राखो म्हांसूं बैर
राणाजी थें जहर दियो म्हे जाणी
राणा जी म्हाँने या बदनामी लागे मीठी
राणाजी म्हांरी प्रीति पुरबली मैं कांई करूं
राणाजी, म्हे तो गोविन्द का गुण गास्यां
राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी
राधाजी को लागे बिंद्रावनमें नीको
राधा प्यारी दे डारोजी बनसी हमारी
राधे तोरे नयनमों जदुबीर
राधे देवो बांसरी मोरी
राम नाम मेरे मन बसियो
राम-नाम-रस पीजै
राम बिन निंद न आवे
राम मिलण के काज सखी मेरे आरति उर में जागी री
राम मिलण रो घणो उमावो नित उठ जोऊं बाटड़ियाँ
राम सनेही साबरियो
री मेरे पार निकस गया सतगुर मार्या तीर
री म्हाँ बैठ्याँ जागाँ, जगत सब सोवाँ
रूप देखश अटकी, तेरा रूप देख अटकी
रे सांवलिया म्हारे आज रंगीली गणगोर
रंग भरी राग भरी रागसूं भरी री
रंगेलो राणो कई करसो मारो राज्य
लगन का नाँव न लीजै री भोली
लटपटी पेचा बांधा राज
लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी
लागी मोहिं नाम-खुमारी हो
लागी सोही जाणै, कठण लगन दी पीर
लेताँ लेताँ राम नाम रे
वस्याँ म्हारे णेणण माँ नँदलाल
वारी-वारी हो राम हूँ वारी
शरणागतकी लाज
शाम बतावरे मुरलीवाला
शाम बन्सीवाला कन्हैया
शाम मुरली बजाई कुंजनमों
श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो
सइयाँ तुम बिनि नींद न आवै हो
सखि म्हाँरो सामरियाणे, देखवाँ कराँरी
सखी आपनो दाम खोटो
सखी मेरी नींद नसानी हो
सखी म्हांरो कानूडो कलेजे की कोर
सखी री लाज बैरण भई
सजणी कब मिलस्याँ पिय म्हाराँ
सजन सुध ज्यूँ जाणे त्यूँ लीजै हो
सहेलियाँ साजन घर आया हो
साजन घर आवो जी मिठबोला
साधुकी संगत पाईवो
सामळोजी मारी बात
सावण दे रह्या जोरा रे
सांवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी
साँवरिया, म्हाँरी प्रीतड़ली न्हिभाज्यो
सांवरियो रंग राचां राणां सांवरियो रंग राचां
साँवरी सुरत मण रे बसी
सांवरो नन्द नन्दन, दीठ पड्याँ माई
सांवरो रंग मिनोरे
सांवलिया म्हारो छाय रह्या परदेश
सुण लीजो बिनती मोरी मैं शरण गही प्रभु तोरी
सुण्यारी म्हारे हरि आवाँगा आज
सुमन आयो बदरा
सुंदर मारो सांवरो
सूरत दीनानाथ से लगी तो
सीसोद्यो रूठ्यो तो म्हाँरो कांई करलेसी
स्याम बिण दुख पावां सजणी
स्याम मने चाकर राखो जी
स्याम मिलण रे काज सखी
स्याम मिलण रो घणो उभावो
स्याम मोरी बांहड़ली जी गहो
स्याम म्हाँसूं ऐडो डोले हो
स्याम विणा सखि रह्या ण जावां
स्याम सुन्दर पर वाराँ जीवड़ा
स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान
हमरे चीर दे बनवारी
हमारे मन राधा स्याम बनी
हमारो प्रणाम बांकेबिहारी को
हमे कैशी घोर उतारो
हृदय तुमकी करवायो
हरि गुन गावत नाचूंगी
हरि तुम कायकू प्रीत लगाई
हरि तुम हरो जन की भीर
हरिनाम बिना नर ऐसा है
हरि बिण क्यूँ जिवां री माय
हरि बिन कूण गती मेरी
हरि बिन ना सरै री माई
हरि मेरे जीवन प्राण अधार
हरि म्हारो सुणज्यो, अरज महाराज
हातकी बिडिया लेव मोरे बालक
हातीं घोडा महाल खजीना
हारि आवदे खोसरी
हारे जावो जावोरे जीवन जुठडां
हारे मारे शाम काले मळजो
हूं जाऊं रे जमुना पाणीडा
हे माई म्हाँको गिरधरलाल
हे मा बड़ी बड़ी अँखियन वारो
हे मेरो मनमोहना आयो नहीं सखी री
हे री मा नन्द को गुमानी
हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय
हे री सखी देख्योरी नंद किशोर
हेली म्हाँसूं हरि बिनी रह्यो न जाय
हैडा मामूनें हरीवर पालारे
हो कांनां किन गूँथी जुल्फां कारियां
हो गये श्याम दूइज के चन्दा
हो जी हरि कित गये नेह लगाय
होरी खेलत हैं गिरधारी
होरी खेलनकू आई राधा प्यारी
होली पिया बिण म्हाणे णा भावाँ
होली पिया बिन लागाँ री खारी
Sant Meera Bai Padavali in Hindi